जबलपुरPublished: Jun 19, 2020 07:37:25 pm
shyam bihari
जबलपुर में स्वदेशी वस्तुओं के लिए मुहिम हुई तेज, आम लोगों के साथ व्यापारियों ने भी बनाया बहिष्कार करने का मन
pradarshan
जबलपुर। स्वदेशी वस्तुओं के उपयोग की मुहिम जबलपुर में भी फिर तेज हो गई है। भारतीय सीमा पर चीन के रवैये के खिलाफ व्यापारियों के साथ उपभोक्ताओं में आक्रोश बढ़ गया है। वे अब चीन से आने वाली वस्तुओं का पूरी तरह बहिष्कार करने का मन बना रहे हैं। अभी बाजार में चीनी वस्तुएं कम जरूर हुई हैं, लेकिन खत्म नहीं हुई हैं। वर्तमान में अलग-अलग प्रकार की वस्तुएं चीन से यहां आ रही हैं। 35 से 40 फीसदी चीजों में चीनी कंपनियों का दखल है। एक अनुमान के अनुसार रोजाना शहर में 10 से 15 करोड़ रुपए का व्यापार होता है। आमतौर पर त्यौहारों पर बिकने वाली वस्तुओं में चीनी माल ज्यादा होता है लेकिन सामान्य बाजार में भी ऐसी कई चीजें हैं जिनमें कही न कहीं चीन का ठप्पा लगा होता है। चमक-दमक के लिए वहां की चीजें पहचानी जाती हैं। कीमत भी कम होने के कारण लोग इन्हें खरीदते हैं। लेकिन उनकी गुणवत्ता पर हमेशा सवाल खड़ा रहता है। मजबूती में कई चीजों में वहां का मार्केट देश की फर्मों के आगे नहीं टिकता। लेकिन लागत ज्यादा आने के कारण कीमत देशी चीजों की थोड़ी ज्यादा होती है। लेकिन अब लोग चीन को सबक सिखाने के लिए वहां की वस्तुओं का उपयोग नहीं करने की कसम लोग खा रहे हैं।
इन चीजों में ज्यादा इस्तेमाल
खिलौने- बच्चों के अधिकांश खिलौने चीन में बने होते हैं। बैटरी से चलने वाले तो लगभग 70 फीसदी खिलौने वहीं से आते हैं। शहर के बाजारों में भी यह खिलौने बिकते हैं। भारतीय कंपनियां अभी उतनी मात्रा में इन्हें तैयार नहीं करतीं हैं।
साइकिल- साइकिल में लगे कई कलपुर्जें चीन से आयात होते हैं। भारत और चीनी माल का अनुपात 70:30 है। लोगों के बीच साइक्लिंग का चलन बढ़ा है। ऐसे में इनकी बिक्री भी पहले की तुलना में ज्यादा हो गई है।
सजावट की चीजें- रंग-बिरंगी लाइट में स्वदेशीकरण पहले की तुलना में बढ़ा है लेकिन चीनी दखल खत्म नहीं हुआ है। एलईडी लाइट, झूमर, वॉल लाइट, लैंप, फ्लॉवर, आर्टिफिशियल पत्तियां जैसी चीजें चीन की बनी होती है।
कपड़ा- शहर में कपड़ों के मार्केट में भी चीन की घुसपैठ है। रेडीमेड टी-शर्ट व उसका कपड़ा, बच्चों के कपड़े के अलावा अलग-अलग प्रकार की कई जैकेट्स वहां से निर्मित होकर यहां आती है। इनका अच्छा-खासा कारोबार शहर में होता है।
मोबाइल फोन- चीनी मोबाइल कंपनियां बड़े पैमाने पर यहां पर बिजनेस कर रही हैं। चीन से एक्जीक्यूटिव जबलपुर में पूरे समय मौजूद रहते हैं। अधिकांश मोबाइल दुकानों तक उनकी पहुंच है। 40 से 50 फीसदी मोबाइल फोन चीनी कंपनियों के हैं।
राखी, पिचकारी- बाजार में बीते दो से तीन सालों में भारतीय पिचकारी, राखी और लाइट की संख्या बढ़ी है। नहीं तो पहले चीनी वस्तुओं से त्यौहार मनाए जाने लगे थे। अभी भी इनका मटैरियल वहां से आता है। उसकी असेम्बलिंग देश में होती है।
महाकोशल चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के अध्यक्ष रवि गुप्ता ने कहा कि चीन हमारे स्वाभिमान को ठेस पहुंचा रहा है तो हम उनके उत्पादों का इस्तेमाल क्यों न करें। व्यापारी एवं उद्योगपति इसका समर्थन करता है। देश के ही उद्योग बढ़ेंगे तो हमारे यहां रोजगार की समस्या भी मिटेगी। जबलपुर चेम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के कार्यकारी अध्यक्ष कमल ग्रोवर का कहना था कि स्वदेशी चीजों को अपनाया जाना चाहिए। चीनी वस्तुओं के बहिष्कार का हिमायती रहा हूं। इसके साथ ही हमे अपनी इंडस्ट्री को मजबूत करना चाहिए। उन्हें सरकारे खुले मन से सहयोग करे ताकि उनकी स्थापना में अड़चने नहीं आएं। साइकिल विक्रेता मनप्रीत सिंग जग्गी ने कहा कि चीन के माल का बहिष्कार किया जाना चाहिए। पहले जरूर चीनी आइटम मंगाते थे लेकिन अब उसे बंद दिया है। जिस देश का माल हमारे यहां बिकता है, वहीं आंख दिखाए तो हम उसका समर्थन क्यों करें।