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बड़ी खबर: पीएम मोदी की जान को खतरा, ज्योतिषी ने दी ये गंभीर चेतावनी, देखें वीडियो

locationजबलपुरPublished: Mar 10, 2018 02:24:00 pm

Submitted by:

Premshankar Tiwari

दुश्मन और विरोधी अपना सकते हैं खतरनाक चाल, अक्षरश: सत्य हुई हैं ज्योतिषार्य पं. नारायणशंकर व्यास की कई भविष्य वाणियां
 

जबलपुर। पंचांग सिटी के नाम से विख्यात संस्कारधानी के वरिष्ठ पंचांग विद और ज्योतिषाचार्य पं. नारायणशंकर व्यास ने प्रधानमंत्री मोदी को लेकर बड़ी भविष्यवाणी की है। पं. व्यास ने कहा है कि नव संवत्सर में भ्रष्टाचार और काले धन को लेकर मोदी का रवैया और कड़ा रहेगा। विरोधी और दुश्मन उन पर हमला भी कर सकते हैं। हालांकि कुछ ग्रहों की युति उनकी रक्षा करेगी, लेकिन प्रधानमंत्री की सुरक्षा पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए।

भौमचांद्र योग
पं. व्यास के अनुसार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पत्रिका में दूसरे स्थान का चंद्र्रमा, मंगल के साथ मिलकर भौमचांद्र योग बना रहा है। स्वतंत्र भारत की कुंडली में चंद्रमा कर्क राशि का है, इसलिए मोदी तथा देश की कुंडली में सामंजस्य बन रहा है। उन्हें और मजबूती मिलेगी। वे काले धन की वापसी के लिए प्रयास करेंगे। राजनीति में वीआईपी संस्कृति को खत्म करने के लिए कड़े निर्णय लेंगे। वे आचार्य विनोबा भावे की तर्ज पर गरीबों के लिए भू-दान आंदोलन जैसा कदम उठा सकते हैं। भ्रष्टाचार के खिलाफ उनका रुख सख्त रहेगा। विरोधी सक्रिय रहेंगे। यही विरोधी उनकी राह में रोड़ा बनने का प्रयास करेंगे। दुश्मन उनके खिलाफ हिंसात्मक कदम उठा सकते हैं। मोदी इस वर्ष फिर विदेशों में भी लोकप्रियता के शिखर पर होंगे। दुश्मन उन्हें किसी तरह का नुकसान नहीं पहुंचा पाएं, इसके लिए मोदी की सुरक्षा पर और अधिक ध्यान दिया जाना चाहिए।


चंद्रमा की महादशा
पं. व्यास ने कहा है कि भारत, मोदी और भाजपा तीनों की कुंडली में इस समय चंद्रमा की महादशा चल रही है। प्रधानमंत्री की बात करें तो उनकी जन्म पत्रिका में फरवरी से चंद्रमा की महादशा के साथ बुध की अंर्तदशा प्रारंभ हो चुकी है। बुधकार का स्थान मजबूत है और उसे सूर्य से भी बल मिल रहा है, जो बुधादित्य योग बना रहा है। शनि भी इसी योग के नजदीक है, सूर्य योग कारक है। सूर्य का योगकारक होना ही उनके लिए लाभकारी साबित होगा। यही योग उन पर आने वाली परेशानियों को टालने में विशेष सहयोग करेगा।


रहेगा विरोधाभास
पं. व्यास के अनुसार नया संवत्सर 17 मार्च का शाम 6 बजकर 13 मिनिट पर कन्या लग्न से प्रारंभ हो रहा है। चूंकि वर्ष चैत्र प्रतिपदा सूर्योदय काल से 18 मार्च को है, इसलिए नव संवत्सर का शुभारंभ रविवार को माना जाएगा। संवत्सर का नाम विरोधकृत नाम संवत्सर है। ग्रहों के विभाग के विभाजन में इस बार राजा का पद सूर्य देव और मंत्री का पद शनि को मिला है। इन दोनों ग्रहों के बीच वैचारिक मतभेद है। यही कारण है कि वर्ष भर राजनीतिक दलों के बीच परस्पर मतभेद बना रहेगा। हालांकि जगलग्न के विचार से लग्नेश बुध दशम भाव में नीचस्थ है और शनि की दशम दृष्टि में है। वहीं मंगल सरकार को मजबूती प्रदान कर रहा है, इसलिए भारत अपनी आवाज को पूरी दुनिया के सामने उठाने भी पिछले वर्ष से भी अधिक कामयाब रहेगा। भारत की रक्षात्मक नीति और आक्रामक होती जाएगी। पाकिस्तान और चीन से राजनयिक स्तर पर वार्ता होगी, लेकिन वैचारिक मतभेद और तनाव बना रह सकता है।

नए चेहरों को मौका
भाजपा की जन्म पत्रिका में चंद्रमा वृश्चिक राशि का है, जो नीच भंग योग बना रहा है। प्रधानमंत्री मोदी का चंद्रमा भी वृश्चिक का है और नीचभंग राजयोग बना रहा है। यह योग भी भाजपा के लिए उन्नति कारक है। इससे विरोधी परास्त होंगे। अक्टूबर से भाजपा का शनि धनु राशि में प्रवेश कर गया है, जो इसे सफलता दिलाएगा। विशेष बात यह है कि ग्रहों की युति और फेर के कारण भाजपा में कई विधायक और सांसदों की टिकट खतरे में पड़ सकती है। पार्टी के बड़े नेता नए चेहरों को आगे लाने के पक्ष में नजर आएंगे।

रामंदिर को मिलेगा समर्थन
पं. व्यास ने कहा है कि उत्तरप्रदेश में ग्रहों की स्थिति अनुकूल है। यही बात योगी आदित्यनाथ के लिए फायदेमंद साबित हो सकती है। अयोध्या में श्री राम मंदिर के निर्माण के लिए उन्हें सभी समुदायों को खुला समर्थन मिल सकता है। ग्रहों की स्थिति स्पष्ट संकेत दे रही है कि इस वर्ष अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण शुरू हो सकता है।

चुनौतियों से घिरी कांगे्रस
पं. व्यास के अनुसार ग्रहों की युति जहां भाजपा का कद बढ़ा रही है, वहीं कांग्रेस के लिए यही स्थिति चुनौतीपूर्ण साबित हो सकती है। कांग्रेस की पत्रिका में धनेश और पराक्रमेश शनि पंचम भाव में नीच का होकर चंद्रमा के साथ है। गोचर के शनि का भ्रमण द्वादश भाव में हो रहा है, जिसके पार्टी में अंतरकर्लह रह सकती है। हालांकि अक्टूबर 2017 से शनि परिवर्तित हुआ है, लेकिन इससे भी कांग्रेस को खास राहत मिलने की उम्मीद नहीं है। पार्टी में आपसी फूट बढ़ सकती है। सन् 2021 के बाद ही कांग्रेस में कुछ अच्छे दिनों की शुरुआत हो सकती है।

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