जबलपुर

come for help: वर्दी में फरिश्ता… बचाई 40 लोगों की जान

भेड़ाघाट, धुआंधार में तैनात आरक्षक हरिओम सिंह की सजगता बनी मिसाल, इन पर सभी को है गर्व

जबलपुरJan 22, 2018 / 01:55 pm

Premshankar Tiwari

police man who saved 40 lives

जबलपुर। नौकरी हो या फिर कोई अन्य क्षेत्र.., अपने दायरे में सभी लोग कुछ न कुछ काम कर रहे हैं, लेकिन कुछ लोग ऐसे हैं जिनके काम दूसरों के लिए मिसाल बन जाते हैं। इन्हीं में शामिल हैं भेड़ाघाट थाने में पदस्थ आरक्षक हरिओम सिंह बैस..। उनके काम न केवल दूसरों के लिए प्रेरणास्पद अनुकरणीय बन गए हैं, बल्कि विभाग को भी गौरवान्वित कर रहे हैं। धुआंधार जल प्रपात में हरिओम अब तक कई लोगों के प्राण बचा चुके हैं। उन्हें वर्दी वाला फरिश्ता भी कह दिया जाए तो अतिश्योक्ति नहीं होगी।
चट्टान में फंसी थी लड़की
हरिओम ने एक घटना का जिक्र करते हुए बताया कि कुछ समय पहले दो लड़कियां रात १२ बजे धुआंधार पहुंचीं। कुछ लोगों ने जानकारी दी कि यह लड़कियां अपने आसपास की नहीं दिखती हैं, लगता है कि सुसाइड करने आई हैं। उस दौरान बारिश हो रही थी और बरगी डैम के गेट खुले हुए थे तो धुआंधार में पानी का स्तर भी बढ़ा हुआ था। उन लड़कियों को देखने के लिए सरकारी गाड़ी से पहुंचे। खूब देखा कोई नहीं मिला। वापस लौटे। फिर भी मन नहीं माना तो वापस गए और देखा। थोड़ी देर बाद धुआंधार में चट्टान में फंसी लड़की दिखाई दी। तुरंत पानी में कूदे और उसे बचाया। दूसरी लड़की भी वहीं थी, लेकिन वह कुछ सुरक्षित जगह पर थी। अंतत: हरिओम ने खुद गोता लगाकर दोनों की जान बचायी। उन्हें बाहर निकालकर लाए।
और भी कई घटनाएं
भेड़ाघाट धुआंधार के पास आरक्षक हरिओम की सुबह से लेकर शाम तक की ड्यूटी लगाई जाती है, क्योंकि उन्होंने अभी तक कई लोगों की जिंदगी बचाई है। हरिओम ने पत्रिका से विशेष बातचीत में बताया कि उनकी नौकरी को साढ़े तीन साल हो गए हैं। तब से अब तक भेड़ाघाट में उन्होंने ४० से अधिक लोगों की जान बचा चुके हैं। उन्होंने बताया कि कई युवक और युवतियां ऐसे भी थे, जो आत्महत्या के इरादे से पानी में कूदे। बचने के बाद उन्हें अपने कृत्य पर पछतवा भी हुआ।
गांव में सीखी थी तैराकी
छिंदवाड़ा के एक गांव में पले-बढ़े हरिआेम ने बताया कि उन्होंने गांव की नदी में तैरना सीख लिया था। उस वक्त केवल शौक में ही तैराकी सीखा करते थे। वे कहते हैं कि उनका तैराकी सीखने का हुनर किसी की जिंदगी बचाने के काम आ रहा है। ये बात मन को खुशी देती है।
पहली घटना बनी प्रेरणा
हरिओम के अनुसार आरक्षक के तौर पर उनकी भर्ती 2015 में हुई थी। धुआंधार में हुई पहली घटना ने उनका हौसला बढ़ाया था। उन्होंने बताया कि एक २१ साल की लड़की धुआंधार पहुंची थी। उस वक्त हरिओम भी सिविल में घूम रहे थे। उन्होंने उसका पीछा किया, तब तक वह सुसाइड पॉइंट पर पहुंच चुकी थी। हरिआेम ने कहा कि ‘मरना चाहती हो, तो चलो मैं भी साथ में ही मर जाता हूं। मेरे घर वाले भी मेरी नहीं सुनते। जब मर जाऊंगा, तब उन्हें पता चलेगा।Ó एेसा कहते-कहते उसे अपनी बातों में लगा लिया और उसका ध्यान भटक गया। उतने टाइम तक कुछ और लोग भी आ गए थे। इस तरह उसे छलांग लगाने से बचा लिया। ध्यान भंग कर देने वाली कुछ थोड़ी सी बातों ने उस लड़की को बचा लिया, वरना वह आत्महत्या कर चुकी होती।

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