गिरफ्तारी में छूट रहा पुलिस का पसीना, कार्यप्रणाली पर उठ रहे सवाल
जबलपुर•Jul 12, 2019 / 08:08 pm•
shyam bihari
Crime : घर में सो रही महिला से छेड़छाड़ ,वह चिल्लाती उससे पहले झुमके लेकर हो गए फरार, पढ़ें छेड़छाड़ से जुड़ी अन्य खबरें
जबलपुर। वारदातों को अंजाम देने वाले छोटे-बड़े बदमाशों को गिरफ्तार कर पाने में जबलपुर पुलिस फिसड्डी साबित हो रही है। अपनी नाकामी छिपाने के लिए आए दिन दो-चार बदमाशों की गिरफ्तारी पर इनाम घोषित कर दिया जाता है। हालांकि, इसका भी कोई खास फायदा होता नहीं दिख रहा है। जिलाबदर से लेकर अन्य फरार आरोपी खुलेआम शहर में ही घूमते नजर आ जाते हैं। लेकिन, पुलिस की नजरों में बदमाशों की सख्ती से तलाश की जा रही है। हाल ही में तो यहां के केंट थाने में धोखाधड़ी के एक साल पुराने मामले में फरार आरोपी की गिरफ्तारी पर एसपी ने ढाई हजार रुपए का इनाम घोषित किया। जानकार सवाल उठा रहे हैं कि आखिर पुलिस इनाम घोषित करके अपनी जिम्मेदारियों से कब तक भागेगी?
दबाव से बचने का तरीका
सूत्रों का कहना है कि इनाम घोषित करना कोई अजूबा नहीं है। लेकिन, शहर में वारदातों की बाढ़ आई हुई है। रात में चोरियां आम हो ही गई हैं। दिनदहाड़े भी चेनस्नेचिंग हो रही है। बाइक सवार बदमाश राह चलती महिलाओं चेन लूटकर आसानी से निकल जाते हैं। चैकप्वाइंट पर तैनात पुलिस नजर नहीं आती। बदमाशों का गिरफ्त से दूर रहना पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाने के लिए पर्याप्त है। सूत्रों को यह भी कहना है कि पुलिस पर जब मंत्रालय की ओर से दबाव पड़ता है, तो आनन-फानन में गिरफ्तारियां दिखाई जाने लगती हैं। इसके साथ में फरारी काट रहे बदमाशों पर इनाम घोषित किया जाने लगता है। जबकि, आंकड़े गवाह हैं कि इनाम घोषित होने के बाद भी बदमाशों की गिरफ्तारी का ग्राफ बढ़ता नहीं है। लेकिन, पुलिस अपनी पीठ थपथपा लेती है कि वह सख्त कार्रवाई कर रही है।
जिलाबदर के आरोपी कर रहे वारदात
जबलपुर शहर में अपराध का ग्राफ इसलिए भी तेजी से बढ़ा है, क्योंकि आरोपियों की गिरफ्तारियों नहीं हो पा रही हैं। यहां तक कि जिलाबदर बदमाश खुलेआम शहर में रहते हैं। यहां तक कि अपने ही घर में रहते हैं। बड़ी वारदातों को भी अंजाम देते हैं। जेल में बंद अपने साथियों की मदद करते हैं। लेकिन, पुलिस सिर्फ पड़ताल करने का दावा करके शांत हो जात है। बात थोड़ा आगे बढ़ती है, तो इनाम घोषित कर दिया जाता है। बात बिगडऩे लगती है, तो हेलमेट चैकिंग का अभियान जोर पकड़ जाता है। 10 या 20 देशी शराब तस्करों को पकड़कर पुलिस टीम को पुरस्कृत किया जाता है। इससे बदमाश बेधड़क वारदात करते हैं। आसानी से भाग भी निकलते हैं।