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गूंजे मंत्रोच्चार फिर आचार्यश्री पर जारी हुआ डाक टिकट, देखें वीडियो

locationजबलपुरPublished: Jul 17, 2018 11:28:21 pm

Submitted by:

Premshankar Tiwari

संयम स्वर्ण महोत्सव पर आचार्य विद्यासागर भवन चरहाई में हुआ आचार्य छत्तीसा विधान

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गूंजे मंत्रोच्चार फिर आचार्यश्री पर जारी हुआ डाक टिकट

जबलपुर। आचार्य विद्यासागर के 50वें संयम स्वर्ण महोत्सव के समापन और गुरु दीक्षा के 51 वें वर्ष में प्रवेश पर संस्कारधानी में मंगलवार सुबह से रात तक गुरुवर की जय जयकार होती रही। चरहाई स्थित आचार्य विद्यासागर भवन में सुबह आचार्य छत्तीसा विधान के बाद शोभायात्रा निकाली गई। सकल दिगम्बर जैन समाज के लोगों ने रात 8 बजे महाआरती कर प्रार्थना की।

गुरुवर का जयघोष

इससे पहले आर्यिका दृढ़मति और मृदुमति माता के सान्निध्य में सुबह 7.30 बजे वैदिक मंत्रोच्चार के बीच आचार्य छत्तीसा विधान, शांतिधारा व अभिषेक हुआ। शोभायात्रा में आचार्य भगवंतों की चांदी की पालकी और सयंम स्वर्ण महोत्सव के ध्वज के साथ इंद्र इंद्राणियों व भक्तों ने गुरुवर का जयघोष किया। आचार्य विद्या सागर के वैराग्य की 18 मनमोहक झांकियों ने धर्म पथ का संदेश दिया। आचार्य विद्या सागर भवन से लार्डगंज, कमानिया गेट, खजांची चौक, मछरहाई, लार्डगंज थाना होते श्री पाŸवनाथ दिगम्बर जैन स्वर्ण मंदिर लार्डंगज में शोभायात्रा समाप्त हुई।

वैराग्य के दर्शन
आचार्य विद्यासागर भवन में डाक विभाग की ओर से आचार्यश्री के वैराग्य पर फिलेटली टिकट जारी किया गया। राज्य मंत्री शरद जैन व डाक अधिकारियों ने टिकट फोल्डर का विमोचन किया। इस दौरान अमित शास्त्री, दिगम्बर जैन पंचायत सभा के अध्यक्ष सत्येंद्र जैन जुग्गू, मंत्री सनत जैन, प्रदीप जैन, सुरेंद्र जैन पहलवान, संजय कश्मीर एवं नवयुवक जैन महासभा के अध्यक्ष गौरव जैन, शुभम जैन, कपिल जैन, साधना बडक़ुल, साधना कश्मीर, निशा चौधरी व रानी जैन आदि मौजूद रहे।

अपराजेय साधक हैं आचार्य श्री
आर्यिका दृढ़मति माता ने कहा, आचार्य श्री अपराजेय साधक हैं। मानव समाज ही नहीं बल्कि मूक प्राणियों के प्रति उनके हृदय में करुणा के भाव हैं। विद्वत संगोष्ठी में स्वामी रामदास ने कहा, आचार्य श्री ने स्वदेशी को उन्नति का आधार बताया है। अंग्रेजी सीखने वालों को हिंदी का महत्व समझना चाहिए। संस्कृति से कटकर उन्नति नहीं की जा सकती। रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. कपिलदेव मिश्रा और डॉ. जितेंद्र जामदार ने आचार्यश्री की साधना और मानव कल्याण के प्रकल्पों पर विचार व्यक्त किए।