जबलपुर

जबलपुर के साथ फिर हो रहा छल, छिनने वाले हैं ये दो मुख्यालय, महत्व करने में जुटी राजधानी

जबलपुर के साथ फिर हो रहा छल, छिनने वाले हैं ये दो मुख्यालय, महत्व करने में जुटी राजधानी
 

जबलपुरJul 05, 2020 / 11:35 am

Lalit kostha

Power Management Company

जबलपुर। शहर के विकास को लेकर जनप्रतिनिधियों के दावे खोखले साबित हो रहे हैं। हद तो यह है कि शहर में जो सौगातें हैं, वे भी एक के बाद एक छिनती जा रही हैं। राजनीतिक उदासीनता के चलते जबलपुर के विकास की उम्मीदें भी धूमिल पड़ रही हैं। शहर में मध्यप्रदेश पावर मैनेजमेंट कंपनी व कौशल विकास संस्थान का मुख्यालय है, लेकिन इनका अघोषित मुख्यालय अब भोपाल हो गया। विभाग के प्रमुख अधिकारी सहित अधिकांश स्टाफ भोपाल में बैठ रहे हैं। शहर में रोजगार के अवसर बढ़ाने कई बड़े उद्योगों की स्थापना घोषणा तक ही सीमित हैं। इससे बेरोजगारी व युवाओं का पलायन भी बढ़ रहा है।

पावर मैनेजमेंट कंपनी और कौशल विकास संस्थान का अघोषित मुख्यालय बना भोपाल

पावर मैनेजमेंट कंपनी की स्थिति
मध्यप्रदेश पावर मैनेजमेंट कंपनी का मुख्यालय शक्तिभवन में है। यहां से ही इसके सभी कार्य संचालित होते हैं। कंपनी के डायरेक्टर भोपाल से ही कार्य संचालित कर रहे हैं। यहां से पूर्व में स्टाफ को भोपाल जाने के निर्देश भी दिए गए थे। कुछ स्टाफ भोपाल चला भी गया। वित्त, राजस्व सहित अन्य कार्यो के लिए यहां से अधिकारी फाइल लेकर भोपाल जाते हैं। आने वाले दिनों में इस कार्यालय को पूरी तरह से भोपाल स्थानांतरित करने की तैयारी है।

 

कौशल विकास संस्थान
जबलपुर में कौशल विकास संस्थान का मुख्यालय है, लेकिन संचालक यहां नहीं बैठते हैं। वे भोपाल में बैठते हैं और संस्थान के ज्यादातर कार्य भोपाल से हो रहे हैं। पूर्व में भी इस कार्यालय को भोपाल ले जाने की तैयारी थी।

पहले ही दो प्रमुख कार्यालय छिने
जबलपुर के मेडिकल कॉलेज परिसर में आंगनबाड़ी प्रशिक्षण केंद्र था। इसे यहां से स्थानांतरित कर दिया गया। इसी तरह से लोक निर्माण विभाग के एक कार्यालय को भी शहर से स्थानांतरित कर दिया गया।

 

ये उम्मीदें भी टूटीं

उर्वरक कारखाना नहीं लगा
2014 में जबलपुर में उर्वरक कारखाना स्थापित कर इसमें पांच हजार लोगों को रोजगार देने की घोषण हुई थी। बरगी व पनागर में जमीन भी तलाशी गई। बाद में यह प्रोजेक्ट उखड़ गया।

प्रोसेसिंग यूनिट नहीं
जबलपुर और आसपास का क्षेत्र सिंघाड़ा, बासमती धान का बड़ा उत्पादक है। प्रोसेसिंग यूनिट नहीं होने के कारण यहां से कच्चा माल दूसरे राज्यों को चला जाता है। किसानों को उनकी उपज का सही दाम नहीं मिल रहा।

इंजीनियरिंग यूनिवर्सिटी की दावेदारी
जबलपुर की इंजीनियरिंग यूनिवर्सिटी के लिए दावेदारी है, लेकिन इस यूनिवर्सिटी की सौगात को भी दूसरे शहरों में स्थापित करने की तैयारी की जा रही है।

टूटा एसईजेड का सपना
जिले में सिहोरा और उमरिया-डुंगरिया औद्योगिक क्षेत्र में वर्ष 2008 एवं 2009 में स्पेशल इकॉनॉमिक जोन (एसईजेड) की स्थापना की गई थी। प्रदेश में ऐसे गिने-चुने जिले हैं, जहां पर दो एसईजेड स्वीकृत हुए थे। इन जगहों पर निर्यातक औद्योगिक इकाइयां स्थापित की जाती है, लेकिन एक भी इकाई स्थापित नहीं हो सकी। ऐसे में केंद्र सरकार ने कुछ साल पहले दोनों एसईजेड को डी नोटीफाइड कर दिया था।

Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.