बढ़ रहे उत्पादन की ओर
बिजली उत्पादन में परंपरागत संसाधनों की कमी और बढ़ती दरों से शहर के कई संस्थान अब सोलर एनर्जी पर निर्भर हो रहे हैं। सभी बडे़ सरकारी और गैर सरकारी संस्थानों की इमारतों की छतों पर सोलर पैनल नजर आने लगे हैं। आम आदमी भी सोलर पैनल से बिजली बनाने की तैयारी कर रहा है। आगामी कुछ महीनों में नगरीय सीमा में ही ३० मेगावाट से ज्यादा बिजली का उत्पादन हो सकेगा। शहर में सोलर पैनल का सबसे बड़ा प्रोजेक्ट आयुध निर्माणी बोर्ड का है। जीसीएफ और वीकल फैक्ट्री इस्टेट में १०-१० मेगावाट की दो इकाइयां लगाई जा रही हैं। पाटबाबा पहाड़ी पर स्थापित पहली १० मेगावाट इकाई की शुरुआत गुरुवार को होगी।
रोज 175 मेगावाट बिजली की जरूरत
शहरी क्षेत्र में प्रतिदिन 175 मेगावाट बिजली की आवश्यकता होती है। सबसे ज्यादा बिजली का उत्पादन वाष्प और जल से होता है। जबलपुर में बरगी बांध की दो इकाइयों से 45-45 मेगावाट और कठौंदा में 7-8 मेगावाट बिजली का उत्पादान हो रहा है। कुछ हिस्सा पवन एवं सोलर एनर्जी का भी है। शेष बिजली की आपूर्ति बिजली कम्पनियां खरीदकर कर रही हैं।
सरकारी भवनों में लगेंगे सोलर पैनल
केंद्र सरकार के निर्देश पर सरकारी विभाग में सोलर पैनल लगाना अनिवार्य किया गया है। आयुध निर्माणियां, रेलवे, नगर निगम, जिला प्रशासन, केंट बोर्ड समेत सभी सरकारी संस्थानों की इमारत पर सोलर पैनल लगाए जा रहे हैं।
108 उपभोक्ता भी बने उत्पादक
शहरी सीमा में 108 उपभोक्ता और छोटी संस्थाओं में सोलर पैनल से 900 किलोवाट बिजली का उत्पादन हो रहा है। इसमें से करीब 47 उपभोक्ताओं के घरों में बिजली कनेक्शन भी हो चुके हैं। इस बिजली का उपयोग घरेलू और गैर घरेलू कार्यों में हो रहा है।
पांच साल में 3105 मेगावाट उत्पादन
मध्य प्रदेश पावर जनरेटिंग कम्पनी ने पिछले पांच साल में 4932 मेगावाट के संयंत्र लगाए।
इनमें 31.5 मेगावॉट सोलर
एनर्जी और 1820 नॉन सोलर एनर्जी से जुड़े हुए हैं। जनरेटिंग कम्पनी ने अपने सभी दफ्तरों और स्थानों पर सोलर पैनल लगाए हैं। वर्तमान में प्रदेश में 3268 मेगावाट सोलर एनर्जी व 879 नॉन मेगावाट सोलर एनर्जी की उपलब्धता है।
सौर ऊर्जा के प्रति जागरुकता बढऩे से छोटे-बड़े संस्थानों के साथ ही आम उपभोक्ता भी सोलर पैनल लगवा रहे हैं। इस प्रोजेक्ट के लिए आवेदनों की संख्या भी बढ़ रही है।
– आइके त्रिपाठी, अधीक्षण यंत्री, सिटी सर्किल