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वीएफजे: सेना ने कराया मॉडिफिकेशन, अभी तक क्लीयरेंस नहीं
उत्पादन पड़ा धीमा, ट्रायल पूरा होने पर तेज होगा एमपीवी का काम
सेना की ओर से कराए गए मॉडिफिकेशन के बाद माइन प्रोटेक्टिड वीकल (एमपीवी) के ट्रायल की प्रक्रिया पूरी नहीं होने के कारण उत्पादन की गति धीमी हो गई है। माना जा रहा है कि ट्रायल के बाद सेना अपनी रिपोर्ट जल्द फैक्ट्री प्रबंधन को दे सकती है। इसके बाद काम में तेजी आ सकती है। एमपीवी में लगने वाले मटेरियल को मंगाना शुरू कर दिया गया है। ताकि, कच्चे माल की कमी न हो।
वीकल फैक्ट्री जबलपुर (वीएफजे) में सेना और अद्र्धसैनिक बलों के लिए एमपीवी का उत्पादन किया जाता है। लम्बे समय से यह काम अटका था। बीच में दो प्रमुख उत्पादन एलपीटीए और स्टालियन वाहन को नॉनकोर में शामिल किए जाने के बाद एमपीवी के उत्पादन पर जोर दिया गया। पिछले महीने ही अद्र्धसैनिक बल के लिए 50 एमपीवी वीकल फैक्ट्री ने तैयार कर दिए। इससे माना जा रहा था कि सेना की 180 से ज्यादा वाहनों की डिमांड इसी गति से पूरी होगी। लेकिन, वाहन में किए गए मॉडिफिकेशन के बाद हुए ट्रायल की रिपोर्ट नहीं आने से मामला
अटका है।
ज्यादा पावरफुल होगा वाहन
सेना ने वीएफजे को मौजूदा एमपीवी को मॉडिफाई करने के लिए कहा था। उसमें कुछ बड़े बदलाव किए गए हैं। इसका इंजन पहले से ज्यादा शक्तिशाली होगा। यह 180 की जगह 220 हॉर्स पावर का होगा। सैनिकों की सुरक्षा और दुश्मनों पर आक्रमण से सम्बंधित कुछ महत्वपूर्ण बदलाव वाहन में किए गए हैं। मॉडिफिकेशन के बाद इसका यूजर ट्रायल चल रहा है।
सेना की मांग के अनुरूप माइन प्रोटेक्टिड वीकल में बदलाव किए गए हैं। इस वाहन का ट्रायल भी चल रहा है। बदलाव के अनुरूप उत्पादन की तैयारियां चल रही हैं।
– डीसी श्रीवास्तव, अपर महाप्रबंधक वीएफजे