डायनिंग टेबल पर होगी बेहतर शेयरिंग
मनोवैज्ञानिक डॉ. रजनीश जैन के अनुसार रोज एक वक्त का खाना एक साथ खाएं। डायनिंग टेबल पर बेहतर शेयरिंग होगी। पेरेंट्स भी बच्चों के दिमाग में चल रही बात को समझ पाएंगे। जब हम बच्चों से इंट्रैक्शन करते हैं तो वह जल्दबाजी में वह बात भी कह जाते हैं तो उनके मन में चल रही होती है।
शक होने पर जांच जरूर करवाएं
मनोचिकित्सक डॉ. स्वप्निल अग्रवाल के अनुसार यदि बच्चों में इम्पलसिव बिहेवियर देखें तो इसकी तुरंत जांच करवाएं, क्योंकि यह बिहेवियर टीनेज में पहुंचने तक एंटी सोशल बना देते हैं। यदि जिद्दी स्वभाव या हायपर एक्टिवनेस दिखे तो एक बार मानसिक स्तर की जांच जरूर करवाएं।
गैजेट्स बड़ा कारण
मनोवैज्ञानिक डॉ. रत्ना जौहरी के अनुसार आजकल पैरेंट्स और बच्चों के बीच कम्यूनिकेशन खत्म हो चुका है और वे गैजेट्स पर ही इन्वॉल्व रहते हैं। ब्लू वेल सहित अन्य फाइटिंग गेम्स बच्चों में एग्रेसिवनेस बढ़ाते हैं, जो कि उनकी सोशल गतिविधियों को कम कर रहा है। गैजेट्स के उपयोग पर ध्यान दिया जाए।