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सब्जियों पर महंगाई की मार, आसमान छू रहे दाम… देखें वीडियो

locationजबलपुरPublished: Apr 11, 2019 08:47:39 pm

Submitted by:

manoj Verma

अंडरकटिंग में रेट हो गए दो गुने, बाहर से आने वाले माल में दलालों का दबदबा
 

krishi upaj mandi jabalpur

बाहर से आने वाले माल में दलालों का दबदबा

जबलपुर । जैसे-जैसे गर्मी बढ़ रही है, वैसे-वैसे बाजार में सब्जियों के भाव आसमान छूने लगे हैं। बाजार में ‘गर्मी अटैक’ हो गया है। यह हम नहीं कह रहे हैं बल्कि बाजार के जानकारों ने स्पष्ट संकेत दे दिए हैं कि आने वाले समय में सब्जियों के दाम दो गुने तक हो सकते हैं। एक्सपोज पड़ताल में भी इसकी पुष्टि की जा रही है कि बाहर से आने वाली दलालों के माध्ययम से सब्जियों की खरीद-फरोख्त पर तगड़ा मुनाफा कमाया जा रहा है, बहाना भले ही माल भाड़ा का किया जा रहा है? हकीकत यह है कि स्थानीय पैदावार कम होने की वजह से बाजार में चंद सब्जियों को छोड़कर शेष सब्जियां लोगों के किचन से गायब होने की कगार पर आ गई हैं। सब्जी बाजार की हकीकत पर एक्सपोज की रिपोर्ट…।
कृषि उपज मंडी में महाराष्ट्र, उत्तरप्रदेश, छत्तीसगढ़ से सब्जियों की खेप आनी शुरू हो गई है। इनमें टमाटर, प्याज, आलू, परवल, लौकी, कटहल आदि शामिल हैं। ये पहले महाराष्ट्र से आ रहे थे। माल आवक पर इनके रेट रोजाना खुल रहे थे लेकिन गर्मी के साथ लोकल पैदावार से खपत प्रभावित होने लगी है और बाहर से माल की आवक बढ़ रही है। एेसे में सब्जियों के भाव क्रमश: बढ़ते जा रहे हैं। सब्जी व्यापार के जानकारों का कहना है कि १५ दिन पहले सब्जी के जो भाव थे, वे अब दो गुने हो रहे हैं। इसके बाद भी रेट थमने का नाम नहीं ले रहा है। बाजार एक्सपर्ट का कहना है कि बाहर से माल आने की वजह से एजेन्टों के बीच प्रतिस्पर्धा और खपत को लेकर रेट कटिंग होगी, जो शादी सीजन को प्रभावित कर सकती है।
हाईब्रीड के दाम अलग
बाजार में अन्य राज्यों से आने वाली सब्जियां ज्यादातर हाईब्रीड होती है। यह सब्जी आकर्षक, चमकदार और दो दिन चलने वाली होती है। इस वजह से इसका दाम बढ़ जाता है। लोकल पैदावार में भाजियां, केले, टमाटर, लौकी, गिलकी आदि इन सब्जियों से कम आकर्षक रहती है, जिससे इनका दाम अच्छा नहीं मिल पाता है और यह सब्जी एक दिन में ही खराब होने लगती है।
रोज खुलते हैं नए रेट
कृषि उपज मंडी के सब्जी बाजार में ज्यादातर थोक व्यापार किया जा रहा है। यहां लोकल किसान फुटकर व्यवसाय भी कर रहे हैं। इस बाजार में सब्जियों के रेट रोज खुल रहे हैं। जानकार कहते हैं कि बाहर से आने वाली सब्जियों के आवक पर रेट तय होते हें। शेयर बाजार जैसे सब्जियों के रेट में बढ़ते और घटते हैं। एक व्यापारी का कहना है कि हाल ही में टमाटर की आवक से रेट कम खुले थे, वहीं दूसरे दिन इसकी मांग होने पर रेट बढ़ गए।
प्रिजर्व वेयरहाउस का खेल
जानकारों का कहना है कि सब्जी दलाल बाहर की आवक को देखते हुए प्रिजर्व वेयरहाउस से सब्जियों की सप्लाई करते हैं, जो बाहर से आने वाली सब्जियों के भाव को प्रभावित करते हैं। व्यापारियों का कहना है कि ऑफ सीजन में विक्रय होने वाली सब्जियों इसी वेयरहाउस से निकाली जाती है, जहां इन सब्जियों को ताजा करके मार्केट में उतार दिया जाता है। इससे एजेन्ट खासी कमाई कर लेते हैं।
ये होता है प्रिजर्व वेयरहाउस: इस वेयर हाउस में सब्जियों को विशेष तरीके से प्रिजर्व कर लिया जाता है। प्रिजर्व सब्जियों को बाजार में उतारने के लिए कुछ घंटे पहले इसे सामान्य किया जाता है, जिसके बाद इन सब्जियों को देखकर यह नहीं कहा जा सकता है कि ये बासी या फिर एक माह पुरानी है। जानकार कहते हैं कि इन सब्जियों में स्वाद की कमी रहती है और यह ज्यादा समय चल नहीं पाती है।
पन्द्रह दिन में तीस प्रतिशत का अंतर

सब्जी बाजार में बिकने वाली सब्जियों के दाम में पिछले 15 दिनों के भीतर करीब तीस प्रतिशत का अंतर आया है। इसमें तीस प्रतिशत सब्जियों के रेट बढ़ गए हैं। व्यापारियों का कहना है कि कुछ सब्जियां लोकल पैदावार नहीं होने की वजह से प्रभावित हुई हैं। जैसे टमाटर के रेट बढ़े हैं लेकिन जल्द लोकल पैदावार आ जाएगी, जिससे इसके भाव गिरकर पांच रुपए तक हो सकते हैं।
प्रमुख सब्जियों के थोक दाम
टमाटर- 25 रुपए किलो
मिर्च- 20 रुपए किलो
कटहल- 12 रुपए किलो
आलू- 12 रुपए किलो
प्याज- 15 रुपए किलो
गिलकी- 15 रुपए किलो
लौकी- 15 रुपए किलो
परवल- 20 रुपए किलो
बरबटी- 15 रुपए किलो
शिमला मिर्च- 20 रुपए किलो
कटहल- 20 रुपए किलो
(नोट: यह रेट गुरुवार को थोक बाजार में बताए गए हैं।)
गर्मी में सब्जियां खराब हो जाती हैं, इसलिए रेट में तेजी मिलती है। भाड़ा लगकर बाहर से माल आता है, इसलिए भी महंगा हो जाता है।

साबिर
स्थानीय पैदावार आने के बाद टमाटर, लौकी और भाजियां अन्य सब्जियों से कुछ सस्ती रहती है लेकिन परवल, कटहल आदि महंगे हो जाते हैं।
पिंटू

सब्जियों के भाव बाहर से आने वाले माल पर निर्भर होते हैं। यहां रोज रेट खुलते हैं। खपत और मालआवक पर ही दाम तय होते हैं। स्थानीय पैदावार कम होने से सब्जियां महंगी हो जाती है। गर्मी में सब्जियों के खराब होने की वजह है। यह जरूर है कि आने वाले समय में सब्जियों के भाव बढ़ेंगे।
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