राय ने बताया कि कारगिल की चोटियों पर पर दुश्मन ने धोखे से कब्जा किया था। इसलिए उन्हें मुक्त कराना जरूरी था। लड़ाई के समय ग्रेनेडियर्स के बाकी जवान दुश्मन को सबक सिखा रहे थे। दिन-रात फायरिंग होने के कारण उन्हें एमुनेशन की जरूरत थी। राजकुमार और नीरज सैनिकों के साथ एमुनेशन लेकर पहुंचे। वापसी में दुश्मन के हमले में राजकुमार को सीने और पेट में चोट लगी। वे मौके पर ही शहीद हो गए। उधर, नीरज को कई जगह बम के टुकड़े लगे थे। इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। जब चोटियों पर हमारे साथी लड़ रहे थे, तब ऐसा महसूस हुआ जैसे मेरे घर पर किसी ने हमला कर दिया और उस जगह होने के बजाय अलग हूं। फिर भी हमारे फौजी साथी जी जान से लड़े और देश की सीमा को दुश्मनों से खाली कराया।