scriptkargil war memory : करगिल युद्ध में राजकुमार और नीरज की शहादत पर गर्व | Pride of Rajkumar and Neeraj's martyrdom in Kargil war | Patrika News

kargil war memory : करगिल युद्ध में राजकुमार और नीरज की शहादत पर गर्व

locationजबलपुरPublished: Jul 24, 2019 05:49:15 pm

Submitted by:

tarunendra chauhan

सूबेदार राजकुमार राय ने बयां किए युद्ध के हालात

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जबलपुर. ‘करगिल युद्ध में चोटी पर दुश्मन से सीधी लड़ाई में 22 ग्रेनेडियर्स की बड़ी भूमिका रही। मैं खुद इसका हिस्सा रहा हूं। जिस समय दुश्मन को मातृभूमि से खदेड़ा जा रहा था, मुझे जबलपुर से भेजा गया। मेरी तैनाती श्रीनगर के पास राष्ट्रीय रायफल्स में थी। मेरी ग्रेनेडियर्स के राजकुमार शर्मा और नीरज कुमार सेना को रसद पहुंचाने गए थे। लौटते समय वे शहीद हो गए। जब खबर आई तो लगा मैंने अपने भाई खो दिए हैं। उनकी शहादत पर गर्व से सीना फूल जाता है।’ 22वीं गे्रनेडियर्स में सूबेदार पद से रिटायर रामपुर निवासी राजकुमार राय ने कारगिल की लड़ाई की यादों को ताजा करते हुए बताया कि वह ऐसा पल था, जब हर देशवासी चाहता था कि सेना दुश्मन को उसकी असलियत दिखाए। ऐसा हुआ भी, लेकिन हमारे कई जवानों को अपनी जान गंवानी पड़ी। राय ने बताया कि वे दोनों साथियों के साथ एक बैरक में रहे। सभी एक-दूसरे के सुख-दु:ख बांटते थे।

राय ने बताया कि कारगिल की चोटियों पर पर दुश्मन ने धोखे से कब्जा किया था। इसलिए उन्हें मुक्त कराना जरूरी था। लड़ाई के समय ग्रेनेडियर्स के बाकी जवान दुश्मन को सबक सिखा रहे थे। दिन-रात फायरिंग होने के कारण उन्हें एमुनेशन की जरूरत थी। राजकुमार और नीरज सैनिकों के साथ एमुनेशन लेकर पहुंचे। वापसी में दुश्मन के हमले में राजकुमार को सीने और पेट में चोट लगी। वे मौके पर ही शहीद हो गए। उधर, नीरज को कई जगह बम के टुकड़े लगे थे। इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। जब चोटियों पर हमारे साथी लड़ रहे थे, तब ऐसा महसूस हुआ जैसे मेरे घर पर किसी ने हमला कर दिया और उस जगह होने के बजाय अलग हूं। फिर भी हमारे फौजी साथी जी जान से लड़े और देश की सीमा को दुश्मनों से खाली कराया।

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