विश्वविद्यालयों के कामकाज की हुई समीक्षा को लेकर प्रोफसेरों पर उंगलियां उठाई जाने पर प्रोफेसर नाराज हो गए हैं। इसे लेकर प्राध्यापकों ने कड़ी आपत्ति दर्ज की है। शैक्षणिक कैलेण्डर पिछडऩे के कारणों को बताया है तो वहां विश्वविद्यालय प्रशासन को इसमें जिम्मेदार ठहराया गया है। शासकीय प्रांतीय प्राध्यापक संघ ने इस संबंध में कड़ी आपत्ति दर्ज की गई है। कैलेण्डर प्रभावित होने की वजह बताते हुए कहा कि प्रवेश की सीमा अधिकतम 10 सप्ताह तय है जबकि 12 सप्ताह प्रवेश कार्य में और 12 सप्ताह से अधिक परीक्षा कराने में बीत रहे हैं। पूरे साल परीक्षाएं चलने के कारण कॉलेजों में पढ़ाई कराने के लिए पर्याप्त समय उपलब्ध नहीं होता ऐसे में शिक्षण कार्य प्रभावित होता है। इसके अलावा शिक्षकों की गैर शिक्षकीय कार्यों में लगातार डयूटी लगाई जा रही है। इससे अध्यापन कार्य भी प्रभावित होता है।
यह है माजरा विदित हो कि हाल ही में राजभवन में विश्वविद्यालयों के कामकाज की समीक्षा की गई थी। कैलेण्डर का पालन न होने की बात पर प्राध्यापकों की कार्यप्रणाली पर उंगलियां उठाई गई जिसे लेकर विवाद खड़ा हुआ। शासकीय प्राध्यापक संघ के प्रांताध्यक्ष प्रोफेसर कैलाश त्यागी, जिलाध्यक्ष प्रोफेसर अरुण शुक्ल ने कहा कि विवि प्रशासन अपनी लापरवाही स्वीकार करने की अपेक्षा प्राध्यापकों पर दोषा रोपण कर रहा है। इस संबंध में राजभवन को पत्र लिखकर वस्तुस्थिति से अवगत कराया गया है।