आखरी बार भी शहीद अश्विनी ने कही थी ये बात
जबलपुर के अश्विनी कुमार की शहादत के बाद आज दोपहर में अंत्येष्टि भी दे दी गई है। इस दौरान उनके पैतृक गांव सिहोरा में लोगों का जन सैलाब देखने को मिला। लोग भारत माता की जय और अश्विनी कुमार अमर रहें के नारे लगाते हुए शहादत को सलामी दे रहे थे। इस दौरान शहीद अश्विनी के पिता ने सरकार से ईंट का जवाब पत्थर से देने की मांग की है। उनके पिता सुकरू प्रसाद कहते हैं कि, ‘मेरा बेटा तो चला गया, सरकार को थोड़ा आगे कार्रवाई करनी चाहिए, जैसा तुमने किया हमारे साथ वैसा ही करेंगे, ईंट का जवाब पत्थर से देना चाहिए। उन्होंने कहा कि, अश्विनी सेना में गया था, तो मैने कहा उससे था कि हमेशा अपना धर्म निभाना, कभी भी पीठ मत दिखाना। इसके बाद जब भी वो छुट्टी से ड्यूटी पर लौटता था तो मुझे जवाब देकर जाता था, कि पिताजी मैं कभी पीट नहीं दिखाउंगा, अगर आऊंगा तो तिरंगे में लिपटकर आऊंगा। आखरी बार भी घर से जाते समय उसने यही कहा था और देखो आज वो तिरंगे में लिपटकर आया है।’
मां हुई बेसुध तो भाई दिखे नाराज़
अपने बेटे की मौत की खबर सुनते ही अश्विनी का मां कौशल्या बाई का रो रोकर बुरा हाल है। घर के एक कोने में वो बेसुध अवस्था में बेठी हैं, लेकिन उनकी आखों में कहीं न कहीं एक फक्र भी है कि, उनके बेटे का देश सेवा में बलिदान हुआ। वहीं, अश्विनी के भाई सुमंत लाल ने बताया कि, आखरी बार उनकी भाई से मुलाकात बहन के देवर की शादी में हुई थी। उस दौरान उन्होंने जम्मू जाने का जिक्र किया था। इस दौरान भाई के आंसू उनकी आंखों में भरे हुए थे। उन्होंने गर्व के साथ कहा कि, मेरे अश्विनी कुमार में ही नहीं इस देश के हर जवान में देश सेवा का जज़्बा है, लेकिन सरकार में ये नहीं है। सरकार देश को जवानों को भर्ती करती है बलिदान देने के लिए, उसका निराकरण करने के लिए नहीं।
शहीदों का गांव है खुड़ावल
जैसे ही शहीद अश्विनी का शव उनके गांव खुड़ावल पहुंचा वहां उनके इंतेज़ार में उमड़ा जनसेलाब अश्विनी कुमार अमर रहे, भारत माता की जय के नारे लगाने लगा। आपको बता दें कि, मध्य प्रदेश के इस छोटे से गांव के करीब 40 लोग सेना में हैं। इसे शहीदों के गांव के नाम से भी जाना जाता है।