नर्मदा में मिलीं कई प्रजातियां
अर्जुन ने बताया कि चार सालों की इस रिसर्च में उन्होंने पाया कि मप्र स्तर पर नर्मदा में कुल २४२२ प्रजातियां थीं। वहीं कुछ ही सालों में इसमें २०० से ज्यादा प्रजातियां अब मौजूद नहीं हैं। इस बीच लगातार प्रदूषण स्तर भी बढ़ा है, लेकिन नर्मदा के कीटों की उपलब्धता के कारण पानी की गुणवत्ता अब तक बनी हुई है। इसमें सबसे ज्यादा प्रजातियां बेन्थोस की है, जिसमें एनालिडा, अर्थोपोड और मोलस्का शामिल हैं। बेंथोस पानी में रहने के कारण प्रदूषण सहन नहीं कर सकते, इसलिए वे पानी की सफाई करते रहते हैं।
अर्जुन ने बताया कि चार सालों की इस रिसर्च में उन्होंने पाया कि मप्र स्तर पर नर्मदा में कुल २४२२ प्रजातियां थीं। वहीं कुछ ही सालों में इसमें २०० से ज्यादा प्रजातियां अब मौजूद नहीं हैं। इस बीच लगातार प्रदूषण स्तर भी बढ़ा है, लेकिन नर्मदा के कीटों की उपलब्धता के कारण पानी की गुणवत्ता अब तक बनी हुई है। इसमें सबसे ज्यादा प्रजातियां बेन्थोस की है, जिसमें एनालिडा, अर्थोपोड और मोलस्का शामिल हैं। बेंथोस पानी में रहने के कारण प्रदूषण सहन नहीं कर सकते, इसलिए वे पानी की सफाई करते रहते हैं।
कीटों में भी खोजी कैंसर की दवा
नर्मदा के कीटों से प्रदूषण दूर करने के साथ अर्जुन ने कीटों में कैंसर की दवा भी खोज ली है। उन्होंने बताया कि पिता नर्मदा प्रसाद शुक्ला ने प्रेरणा लेकर उन्होंने पाया कि कैंसर का कीमोथैरेपी के अलावा कोई इलाज नहीं हैं, लेकिन कोलेप्टरा फैमिली के फफोले बीटल के रूप में पाए जो हैं। यह कीट कैंसर को ठीक करने में मदद पाने में मदद मिलती है। शहरी में बीटल्स के कैथडीरीन प्रोटीन और एपोपोसिस को रोकने का काम करते हैं, जिससे उपचार आसान होता है।
नर्मदा के कीटों से प्रदूषण दूर करने के साथ अर्जुन ने कीटों में कैंसर की दवा भी खोज ली है। उन्होंने बताया कि पिता नर्मदा प्रसाद शुक्ला ने प्रेरणा लेकर उन्होंने पाया कि कैंसर का कीमोथैरेपी के अलावा कोई इलाज नहीं हैं, लेकिन कोलेप्टरा फैमिली के फफोले बीटल के रूप में पाए जो हैं। यह कीट कैंसर को ठीक करने में मदद पाने में मदद मिलती है। शहरी में बीटल्स के कैथडीरीन प्रोटीन और एपोपोसिस को रोकने का काम करते हैं, जिससे उपचार आसान होता है।
मिले अनेक अवार्ड
अर्जुन को वर्ष २०१७ में १७ अवॉर्ड भी प्रदान किए जा चुके हैं। देश के विभिन्न शहरों के साथ थाईलैण्ड, कैलिफोर्निया, दुबई जैसे देशों में जाकर पेपर प्रजेंट करने के लिए सर्वश्रेष्ठ वैज्ञानिक का सम्मान भी प्राप्त हो चुका है। उन्होंने बताया कि निदेशिका डॉ. रीता भंडारी के साथ मिलकर नर्मदा: नदी नहीं सभ्यता पर किताब भी लिखी है। इसके साथ ही शिवानी राय के साथ मिलकर नर्मदा का वैज्ञानिक संगम साइंटिफिक कन्फ्यूएंस ऑफ रिवर नर्मदा का लेखन किया है। इसमें ३०० प्रजातियों के समावेश को शामिल किया है।