बता दें कि जबलपुर के वरिष्ठ अधिवक्ता कौरव नरसिंहपुर जिले के गाडरवारा तहसील के ग्राम डोंगरगांव में 4 अक्टूबर 1976 पैदा हुए। छात्र जीवन में उनका अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़ाव रहा, 2010 में उन्हें एबीवीपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में विशेष आमंत्रित सदस्य बनाया गया था।
कौरव को हर तरह के मामले में पैरवी के लिए जाना जाता हैं। कौरव 33 वर्ष की उम्र में 2009 में उप महाधिवक्ता, फिर अतिरिक्त महाधिवक्ता और जून 2017 में पहली बार महाधिवक्ता बने। उस वक्त शिवराज सिंह चौहान की सरकार ने तत्कालीन एजी रवीश अग्रवाल का इस्तीफा मंजूर करने के बाद कौरव को दिल्ली से वापस बुलाकर यह जिम्मा सौंपा था। लेकिन सत्ता परिवर्तन के बाद जब कांग्रेस ने प्रदेश की बागडोर संभाली तो उन्होंने पद छोड़ दिया था, लेकिन 15 महीने बाद प्रदेश में भाजपा पुनः सत्ता में आई तो कौरव एमपी के 18वें महाधिवक्ता बने। 45 वर्षीय पुरुषेंद्र कौरव के नाम को राष्ट्रपति की ओर से मंजूरी मिल गई तो वे महाधिवक्ता के पद से सीधे हाईकोर्ट में जज बनने वाले वे पहले व्यक्ति होंगे। अमूमन महाधिवक्ता पद संभाल चुके कई लोग हाईकोर्ट में जज बने, लेकिन पद संभालते हुए ऐसा पहली बार होगा।
बता दें कि 2009 में उप महाधिवक्ता और 2012 से अतिरिक्त महाधिवक्ता के पद पर कार्यरत रहते हुए कौरव ने डीमेट सहित व्यापमं के बहुचर्चित मामलों में मध्य प्रदेश शासन की ओर से पैरवी की थी। इसके बाद प्रदेश सरकार ने उन्हें सुप्रीम कोर्ट में राज्य से संबंधित मामलों की पैरवी के लिए दिल्ली भेज दिया, उसके बाद 2017 में महाधिवक्ता के पद से रवीश अग्रवाल के इस्तीफा देने के बाद वापस बुलाया गया।