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यहां लावारिस की तरह हैं खजाने, क्योंकि बीमा तो मिल ही जाता है

locationजबलपुरPublished: Nov 27, 2019 11:54:08 am

Submitted by:

shyam bihari

एटीएम की सुरक्षा पर उठे सवाल, बैंक और पुलिस एक दूसरे के पाले में डालते हैं गेंद

Tried to break the SBI ATM machine with a chisel in khandwa

Tried to break the SBI ATM machine with a chisel in khandwa

जबलपुर। एटीएम को ‘खजानाÓ कहना गलत नहीं है। जबलपुर शहर में भी सैकड़ों एटीएम हैं। सुनसान गलियों, चौक-चौराहों पर एटीएम का जाल बिछा है। लेकिन, हाल के दिनों में एटीएम बूथ से कार्ड के जरिए ठगी के साथ मशीन तोड़कर पैसे निकालने की वारदातें बढ़ी हैं। जबकि, इनकी सुरक्षा के मामले में बैंक प्रबंधन और पुलिस वाले एक दूसरे के पाले में गेंद फेंक रहे हैं। लूट की वारदातों को इसलिए भी गम्भीरता से नहीं लिया जाता, क्योंकि बीमा क्लेम से पैसे मिल जाने की उम्मीद रहती है।

जबलपुर के पाटन-नुनसर में इसी साल छह जून को बदमाशों ने इसी तरह बैंक ऑफ महाराष्ट्र के एटीएम को विस्फोट से उड़ाकर 6.83 लाख रुपए लूट लिए थे। नुनसर एटीएम ब्लास्ट प्रकरण में एसपी ने दस हजार का इनाम घोषित कर रखा है। इसके बावजूद पुलिस अब तक कोई सुराख नहीं ढूंढ़ पाई। पाटन नुनसर एटीएम धमाके में भी बदमाशों ने खदानों में उपयोग होने वाले जिलेटिन रॉड व ब्लैक बारूद और बैटरी का इस्तेमाल किया था। आरोपियों ने एटीएम के सीसीटीवी पर स्प्रे कर दिया था, जिससे उनकी तस्वीर धुंधली आए। इससे पहले खरगोन में एक जून को एटीएम को धमाके में उड़ाने की कोशिश हुई थी। अब कटनी के बहोरीबंद के बाकल में शनिवार देर रात एटीएम को विस्फोट में उड़ाया गया। एटीएम व बैंकों की सुरक्षा एक बड़ा सवाल बना हुआ है। जिले में पिछले दो वर्षों में एक दर्जन के लगभग वारदात सामने आ चुकी हैं, जब बदमाशों ने एटीएम और बैंकों को निशाना बनाया है। इसके बावजूद नाममात्र के एटीएम व बैंकों में सुरक्षा के इंतजाम किए गए। अधिकतर एटीएम व बैंकों में रात में कोई सुरक्षा गार्ड नहीं रखे गए हैं। पुलिस और बैंकों में समन्वय न होने की वजह से अपराधियों को वारदात करने में आसानी हो रही है।
हो गए बेखबर
बैंक प्रबंधन की ओर से एटीएम व बैंक की रकम का बीमा कराया जाता है। किसी तरह के चोरी या लूट जैसी वारदात होने पर उन्हें सिर्फ पुलिस की एफआईआर व चालान पेश करने तक इंतजार करना पड़ता है। इसके बाद वे बीमा कम्पनी से क्लेम प्राप्त कर लेते हैं। बैंक प्रबंधन से जुड़े लोगों का दावा है कि सुरक्षा गार्ड के वेतन आदि की तुलना में बीमा की किश्त काफी कम पड़ती है।
पाटन नुनसर एटीएम ब्लॉस्ट के बाद पुलिस अधिकारियों ने बैंक प्रबंधन की बैठक ली थी। जिसमें बैंक व एटीएम की सुरक्षा को लेकर कई तरह के निर्देश दिए गए थे। इसमें तय हुआ था कि रात्रि गश्त के दौरान पुलिस एटीएम की जांच करेगी। वहीं दूरस्थ और सूनसान स्थल वाले एटीएम को रात में बंद करने का सुझाव आया था, लेकिन इस पर अमल नहीं हुआ।

आंकड़ों की जुबानी
जबलपुर जिले में बैंक-220
एसबीआई-170
अन्य-50
जिले में कुल एटीएम-550
एसबीआई-245
पीएनबी-38
यूनियन बैंक ऑफ इंडिया-35
सेट्रल बैंक-25
अन्य बैंक के एटीएम-207

ये भी खामियां-
-बैंक अधिकारियों के साथ बैठक में पूर्व में अंदर व बाहर सीसीटीवी कैमरे लगाने के लिए कहा था। अधिकतर बैंक व एटीएम में यही देखने को मिला कि कैमरे उनकी दहलीज तक सिमटे हैं। बाहर से आने-जाने वालों तक कैमरों की पहुंच नहीं होती। ऐसे में कई बार अपराधियों को चिन्हित करने में पुलिस को मशक्कत करना पड़ती है। बैंकों की तरह एटीएम में भी अलॉर्म की सुरक्षा होनी चाहिए

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