पब्लिक की आशंका निर्मूल भी नहीं है, अब इस प्रकरण में जो जानकारी मिल रही है, उसके अनुसार जांच समिति के 10 मई की देर रात रिपोर्ट कलेक्टर को सौंपने के बाद सीएमएचओ डॉक्टर रत्नेश कुररिया ने जिम्मेदार अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने के आदेश दिए, लेकिर पांच दिन बाद भी मुकदमा दर्ज नहीं हो सका है। ऐसे में लोग अगर यह कहते हैं कि जांच रिपोर्ट का सौंपा जाना और सीएमएचओ का एफआईआर का आदेश देना भी सीएम शिवराज सिंह चौहान के समक्ष गुड वर्ग साबित करने भर ही रहा।
ये भी पढ़ें- Galaxy Hospital प्रकरण ने भी उजागर की प्रशासन की लापरवाही गैलेक्सी हॉस्पिटल मामले में कार्रवाई के नाम पर सीएमएचओ डॉक्टर कुररिया ने आदेश के तहत अस्पताल में कोविड के नए मरीजों की भर्ती पर रोक लगाई गई है। साथ ही अस्पताल में कोविड मरीजों के इलाज संबंधी अनुमति भी निरस्त कर दी गई है। वर्तमान में जो भी कोविड के मरीज भर्ती हैं, उनके इलाज के बाद उन्हें डिस्चार्ज करने का आदेश दिया गया है। लेकिन एफआईआर की बात से प्रशासन अब मुकरने लगा है।
यहां यह भी बता दें कि 22 अप्रैल की देर रात दो बजे के करीब गैलेक्सी हॉस्पिटल में पटेल नगर निवासी अनिल शर्मा (49), विजय नगर निवासी देवेंद्र कुररिया (58), गाडरवारा नरसिंहपुर निवासी गोमती राय (65), नरसिंहपुर निवासी प्रमिला तिवारी (48) और छिंदवाड़ा निवासी आनंद शर्मा (47) की मौत हो गई थी। इस मामले में कलेक्टर कर्मवीर शर्मा ने संयुक्त कलेक्टर शाहिद खान की अगुवाई में जांच समिति गठित की थी। कलेक्टर को सौंपी गई जांच रिपोर्ट के मुताबिक सभी पांच मौत के मामले में अस्पताल प्रशासन दोषी पाया गया। अस्पताल में अनट्रेंड मेडिकल स्टॉफ था जिसके ऑक्सीजन लगाने के दौरान ही सभी की हालत खराब हुई। बताया तो यहां तक गया कि जब मरीजों की हालत खराब हुई तो मेडिकल स्टॉफ सहित डॉक्टर भी भाग खड़े हुए थे।
जांच रिपोर्ट में इन बिंदुओं पर लापरवाही हुई तय -अस्पताल में कोविड-19 के स्वीकृत संख्या से अधिक मरीजों को भर्ती किया गया था
-रात में अस्पताल में कोई जिम्मेदार मैनेजर नहीं था
-ऑक्सीजन सप्लाई करने के लिए नियुक्त ऑक्सीजन सुपरवाईजर अनट्रेंड था
-ऑक्सीजन के समय जब संक्रमित तड़पने लगे तो उनकी मदद के बजाय वहां मौजूद डॉक्टर व स्टाफ भाग गए
-इन कारणों के चलते ही अस्पताल में भर्ती पांच संक्रमितों की मौत हुई थी
इस प्रकरण में जांच रिपोर्ट आने के पहले यूं कहें कि जांच के दौरान ही नया मोड़ तब आया जब अस्पताल प्रबंधन से रेडक्रास के नाम पर 25 लाख रुपये का दान दिलवा दिया गया। इस मुद्दे पर जब पूर्व सीएम कमलनाथ, विवेक तन्खा सहित सोशल मीडिया के जरिए सवाल खड़ा किया और राज्य सरकार व जिला प्रशासन को कठघरे में खड़ा करने की कोशिश की उसके बाद ही आनन-फानन में रिपोर्ट पेश कर अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही तय कर दी गई।
रिपोर्ट आने के बाद सीएमएचओ डॉक्टर रत्नेश कुररिया ने जहां एफआईआर दर्ज कराने की बात कही थी। वहीं कलेक्टर कर्मवीर शर्मा ने घटना के बाद दावा किया था कि दोषियों पर सख्त कार्रवाई होगी। बावजूद इसके अब तक कुछ भी नहीं हो सका है।
अब तो पुलिस प्रशासन के सुर भी बदल गए हैं। टीआई प्रफुल्ल श्रीवास्तव का कहना है कि प्रशासन ने जांच किया है। उसका प्रतिवेदन मिलने पर वह एफआईआर करेंगे। वहीं सीएमएचओ डॉक्टर कुररिया का कहना है कि अस्पताल प्रबंधन से जवाब मांगा गया है। जवाब मिलने के बाद कमेटी निर्णय लेगी कि कार्रवाई होगी या नहीं।