पमरे प्रशासन को पत्र लिखकर, रेल संगठनों की कार्यप्रणाली पर उठाए सवाल, संगठनों के बीच हड़कंप, महाप्रबंधक से की जांच की मांग
जबलपुर. रेल संगठनों द्वारा नियम कायदों को ताकपर रखकर काम किया जा रहा है। न ही रेल प्रशासन को अवगत कराया जा रहा है न ही कर्मचारियों को। इस तरह के आरोप रेल प्रशासन को पत्र लिखकर लगाए गए हैं। महाप्रबंधक से इस मामले की जांच की मांग की है। पत्र के बाद कर्मचारियों और संगठनों के बीच हड़कंप की िस्थति है। बताया जाता है पश्चिम मध्य रेल कर्मचारी परिषद ने महाप्रबंधक को पत्र लिखकर मान्यता प्राप्त रेल संगठनों पर नियमों से हटकर काम करने की शिकायत कर जांच की मांग की है। परिषद के जोनल संगठन मंत्री बसंत गोरे द्वारा महाप्रबंधक को भेजे पत्र में कहा है कि पश्चिम मध्य रेल प्रशासन द्वारा रेल संगठनों को रेलवे कर्मचारियों के सहमति पत्र के आधार पर कर्मचारियों के वेतन से सीधा सदस्यता शुल्क रेलवे द्वारा संग्रहित करके मान्यता प्राप्त यूनियनों के बैंक खाते में जमा किया जाता है। उसके लिये मान्यता प्राप्त यूनियनों को रेल प्रशासन के निर्देशों का पालन करना अनिवार्य है। लेकिन यूनियनें मुख्यालय द्वारा जारी निर्देशों का पालन नहीं कर रहीं हैं। गौरे ने कहा कि मुख्यालय ने स्पष्ट निर्देश दिये हैं कि सहमति घोषणा पत्र दो प्रतियों में डिपों इंचार्ज द्वारा सत्यापित करवा कर दिया जाएगा जिसकी एक प्रति वरि मंडल कार्मिक अधिकारी तथा वरिष्ठ मंडल वित्त प्रबंधक को दी जायेगी। लेकिन संगठनों द्वारा केवल एक प्रति में देने के बाद भी रेलवे प्रशासन द्वारा सहमति घोषणा पत्र को स्वीकार किया जा रहा है। कर्मचारियों के वेतन से कटौती करके संगठनों के खातों में जमा कराया जाना नियम विरूद्ध है। मंडल के एक कर्मचारी द्वारा रेलवे प्रशासन को लिखित में सूचित किया गया था कि उसकी सहमति के बिना उसके वेतन से सदस्यता की राशि काट कर संबंधित यूनियन को दे दी गई है। इस बात की जांच कराई जाये की कार्मिक विभाग या वित्त विभाग दोनों में से एक विभाग द्वारा बिना सहमति पत्र के धनराशि मान्यता प्राप्त संगठनों के खातों में भेजी जा रही है। पमरे प्रशासन द्वारा जारी निर्धारित सदस्यता शुल्क कटौती हेतु सहमतिपत्र का अनुपालन नहीं किया जाता है।
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