जबलपुर

रेलवे का नया निमय लागू: स्टेशन पर लेकर गए पॉलीथिन तो भरना पड़ेगा भारी जुर्माना

पमरे के रेलवे स्टेशनों में कुल्हड़ में मिलेगी चाय, आरपीएफ को दिया कार्रवाई का अधिकार

जबलपुरSep 18, 2019 / 11:38 am

Lalit kostha

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railway news jabalpur: पश्चिम मध्य रेलवे के स्टेशनों में अब सिंगल यूज प्लास्टिक का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा। कोई ऐसा करते पाया गया, तो उसके खिलाफ आरपीएफ भी कार्रवाई कर सकेगी। इसके लिए आरपीएफ को अधिकार दिए गए हैं। लोगों को समझाइस के साथ ही भारी जुर्माना करने पर भी विचार किया जा रहा है। ताकि यात्री पॉलीथिन का उपयोग करने से बचें। इसलिए अब स्टेशनों और ट्रेनों में प्लास्टिक के कप की जगह कुल्हड़ या कागज के डिस्पोजल का इस्तेमाल किया जाएगा। पर्यावरण संरक्षण के उद्देश्य से यह कदम उठाया गया है। यह बात पश्चिम मध्य रेलवे के महाप्रबंधक अजय विजयवर्गीय ने मंगलवार को कहीं।

उन्होंने कहा कि यात्रियों और विभिन्न स्टॉल संचालकों को इसके लिए जागरूक किया जा रहा है। उन्होंने महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के अवसर दो अक्टूबर तक पमरे में आयोजित होने वाले स्वच्छता अभियान की जानकारी भी दी। बताया कि पमरे देश का ऐसा पहला जोन बन गया है, जिसमें स्वच्छता अभियान के तहत सभी कोचों में बायो टॉयलेट लगा दिए हैं।

 

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ऑपरेशनल में आया सुधार

जबलपुर स्टेशन व यार्ड की री-मॉडलिंग होने के बाद ऑपरेशनल व्यवस्था में सुधार हुआ है। ट्रेनों को आउटर पर रोकना नहीं पड़ रहा है।

दिसम्बर तक पूरा हो जाएगा विद्युतीकरण
उन्होंने बताया कि जबलपुर मंडल के अंतर्गत कटनी सतना के बीच शेष विद्युतीकरण का कार्य वर्ष के अंत तक पूरा हो जाएगा। वहीं दक्षिण पश्चिम मध्य रेलवे बिलासपुर जोन के अंतर्गत जबलपुर गोंदिया ब्रॉडगेज परियोजना का थोड़ा सा काम नैनपुर बालाघाट के बीच तथा मंडला नैनपुर के बीच शेष है, उसे मार्च 2020 तक पूरा करने का लक्ष्य है।

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200 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार से चलेंगी ट्रेनें
विजयवर्गीय ने बताया कि पमरे में स्पीड को बढ़ाने का काम चल रहा है। इटारसी भोपाल बीना होकर दिल्ली जाने वाला रूट 140 किमी स्पीड का है, जबकि मुम्बई दिल्ली व्हाया रतलाम कोटा रेलमार्ग भी लगभग 130 की स्पीड का है। इस रेलमार्ग को 160 से 200 किमी प्रतिघंटा का करने की मंजूरी कैबिनेट ने दी है। इसे जल्द शुरू करने की कार्ययोजना बनाई जा रही है। इटारसी इलाहाबाद रूट 110 किमी स्पीड का है, जबकि कटनी बीना रूट में कुछ खंड में 105 से 110 स्पीड के हैं। भविष्य में ये सभी रेलमार्ग 130 किमी स्पीड के हो जाएंगे। इसके पीछे की मुख्य वजह सभी ट्रेनों में एलएचबी कोच लगना है। यह कोच 130 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार के लिए फिट हैं।

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