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हर साल तरसाने लगी हैं बरखा रानी

locationजबलपुरPublished: Jun 15, 2019 01:20:50 am

Submitted by:

shyam bihari

आठ साल में मानसून आने का समय दस दिन बढ़ा

हर साल तरसाने लगी हैं बरखा रानी

rain

जबलपुर। पेड़ों की अंधाधुंध कटाई और जलवायु में वैश्विक परिवर्तन का असर संस्कारधानी में इतना अधिक हुआ कि वर्षाकाल ही सिमट कर चार के बजाय महज ढाई माह का रह गया। शहर में अगस्त माह के बाद वर्षा का आंकड़ा बीते वर्षों में साल दर साल लगातार कम हुआ है। बरखा रानी के आगमन में भी साल दर साल विलंब होता जा रहा है। आंकड़े बता रहे हैं कि पंद्रह जून के आसपास आने वाला मानसून अब 25 जून के आसपास शहर में दस्तक देता है।
जुलाई-अगस्त में ही होती है अच्छी बारिश
बीते वर्षों के आंकड़े बताते हैं कि शहर में पंद्रह जून के करीब आने वाला मॉनसून अब 25 जून के करीब आता है। जुलाई-अगस्त माह में जोरदार बारिस होती है। लेकिन, सितम्बर की शुरुआत होते ही मानसून बहुत कमजोर हो जाता है। पंद्रह सितंबर तक वर्षाकाल करीब-करीब समाप्त हो जाता है और छींटे-बौछार के रूप में ही बारिस होती है। इस तरह से शहर में वर्षा ऋतु महज ढाई-तीन माह की रह गई है।
सितम्बर में 84 फीसदी वर्षा कम
मौसम विभाग के अनुसार 2010 व 2011 में बरसात अच्छी हुई। बीते नौ वर्षों के दौरान जबलपुर में सबसे अधिक वर्षा 2011 में 1627.8 मिमी हुई। 2010 में वर्षाकाल में कुल वर्षा 1486. 2 मिमी थी। जबकि 01 सितम्बर से 30 सितम्बर 2010 तक एक माह के दौरान 552.8 मिमी बारिस हुई। इसके बाद से सितम्बर में होने वाली बारिश का आंकड़ा कम होता गया। सितम्बर 2011 में 350 मिमी वर्षा हुई। साल दर साल कम होते होते गत वर्ष सितम्बर माह में वर्षा का आंकड़ा 88.6 मिमी था, जो नाममात्र का रहा। इस तरह से 2010 के सितंबर माह की तुलना में सितम्बर 2018 में महज 84 फीसदी वर्षा कम हुई।
ऐसे बढ़ा मानसून आने का समय
2011- 17 जून
2012-17 जून
2013-22 जून
2014-20 जून
2015-25 जून
2016-22 जून
2017-25 जून
2018-26 जून
वर्षाकाल में हुई कुल वर्षा
2011- 1627.8 मिमी
2012-1359.9 मिमी
2013-1957.6 मिमी
2014-911.2 मिमी
2015-809 मिमी
2016-1455.1 मिमी
2017–953.5 मिमी
2018-1064.9 मिमी
आठ सालमें सितम्बर के दौरान बारिश
सितम्बर 2011- 350 मिमी
सितम्बर 2012-129.7 मिमी
सितम्बर 2013-123.3 मिमी
सितम्बर 2014-228.6 मिमी
सितम्बर 2015–74.5 मिमी
सितम्बर 2016-84.9 मिमी
सितम्बर 2017-167.6 मिमी
सितम्बर 2018-88.6 मिमी

15 सितम्बर के बाद शहर में वर्षा करने वाला दक्षिण-पश्चिम मानसून कमजोर हो जाता है। चेन्नई से आने वाले उत्तर-पूर्व मानसून की वजह से शहर व इसके आसपास कम दबाव का क्षेत्र बन जाता है। इससे मानसूनी हवाओं की दिशा बदल जाती है। सितम्बर में बहुत कम बरसात होने की यह एक बड़ी वजह है।
-आरके दत्ता, वरिष्ठ मौसम वैज्ञानिक जबलपुर
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