शहरी क्षेत्र की घनी आबादी के लिहाज से जबलपुर रेंज में महज 4 फीसदी वन क्षेत्र है और यहां अब तक 993.7 मिमी बारिश दर्ज की गई है। जबकि, 12.81 प्रतिशत वन क्षेत्र वाले शहपुरा में 620.9 मिमी बारिश हुई है। पाटन क्षेत्र में कम वन क्षेत्र के बारिश ज्यादा हो गई है। वैज्ञानिकों का कहना है, सामान्यत: मानसून सीजन 15 सितम्बर तक माना जाता है, लेकिन कुछ वर्षों से बारिश अक्टूबर तक भी दर्ज की जा रही है।
सीजन में बारिश : क्षेत्र- बारिश (मिमी )- वन क्षेत्र का प्रतिशत जबलपुर 993.7- 4.03 पनागर- 1034.4- 19.41 कुंडम- 1288.2- 12.25 पाटन- 966.5- 5.93 शहपुरा- 620.9 – 12.81
सिहोरा- 1222.6- 11.91 जलवायु असंतुलन से सिस्टम होता है प्रभावित: पेड़ों की वजह से मौसम का संतुलन बनता है। पेड़ों की कमी से जलवायु परिवर्तन या असंतुलन की स्थिति निर्मित हो रही है। हालांकि, मानसूनी बारिश में सिस्टम का असर होता है। यह कह सकते हैं कि जलवायु असंतुलन से मानसून का सिस्टम प्रभावित होता है।
डॉ.मनीष भान, मौसम वैज्ञानिक, जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय पेड़ों से मानसूनी हवा होती है प्रभावित:
जहां जंगल ज्यादा है, वहां ज्यादा बारिश होनी चाहिए। जंगल अपर्याप्त होने से मौसम असंतुलित हो रहा है। असमान बारिश का कारण हरियाली की कमी ही है। पेड़ों के असर से मानसूनी हवा प्रभावित होती हैं, कमजोर सिस्टम की दिशा परिवर्तित हो जाती है।
जहां जंगल ज्यादा है, वहां ज्यादा बारिश होनी चाहिए। जंगल अपर्याप्त होने से मौसम असंतुलित हो रहा है। असमान बारिश का कारण हरियाली की कमी ही है। पेड़ों के असर से मानसूनी हवा प्रभावित होती हैं, कमजोर सिस्टम की दिशा परिवर्तित हो जाती है।
प्रो. एचबी पालन, रिटायर्ड प्रोफेसर