एक माह पहले शुरू होता था सिलसिला
कुछ साल पहले तक रक्षाबंधन के एक से डेढ़ माह पूर्व से ही राखियां भेजने का सिलसिला शुरू हो जाता था। सावन मास में प्रतिदिन बड़ी संख्या में बहनें भाइयों के लिए राखियां भेजती थीं। लेकिन, समय के साथ यह सिलसिला लगभग थम-सा गया है। हालांकि देहात में अब भी पोस्ट बॉक्स से राखियां भेजी जाती हैं।
पोस्ट बॉक्स में राखी के लिफाफों का ग्राफ कम होने पर डाकघर में राखियां भेजने के लिए विशेष व्यवस्थाएं की जा रही हैं। राखी के लिए स्पेशल काउंटर लगाने के साथ वाटर प्रूफ लिफाफे भी उपलब्ध कराए जाते हैं।
इसलिए भी कम हुए बॉक्स
जानकारों के अनुसार चिट्ठियां और राखी भेजने वाले अपने लिफाफों को ट्रैक करना चाहते हैं। इसलिए वे रजिस्टर्ड या स्पीड पोस्ट के जरिए राखियां भेजना पसंद करते हैं। सामान्य लिफाफों में राखी भेजने वाले को यह भी डर होता है कि समय पर राखियां पहुंचेंगी या नहीं, इसलिए भी सामान्य लिफाफों और पोस्ट बॉक्स में राखी भेजने वालों की संख्या कम हुई है।
पोस्ट बॉक्स के जरिए राखी भेजने वालों की संख्या कम हुई है। चिट्ठियों की संख्या भी कम हुई है। हालांकि रक्षाबंधन के अवसर पर राखी भेजने के लिए विशेष वॉटर प्रूफ लिफाफे डाकघर में उपलब्ध हैं। राखी के लिए भेजने के लिए अलग से काउंटर भी लगाए जाते हैं।
डीसी गुप्ता, वरिष्ठ पोस्ट मास्टर, प्रधान डाकघर, जबलपुर