ऐसी ही एक कहानी है राजा बलि और मां लक्ष्मी की। ज्योतिषाचार्य जनार्दन शुक्ला के अनुसार भगवत पुराण और विष्णु पुराण में बताया गया है कि राजा बलि नाम के एक राजा ने भगवान विष्णु से उनके महल में रहने का आग्रह किया था। भगवान विष्णु अपने भक्तों की बात मान ली और राजा बलि के साथ रहने लगे। महालक्ष्मी ने भगवान को बैकुंठ जाने का निश्चय किया लेकिन राजा बलि ने मना किया। तब माता लक्ष्मी ने राजा बलि को रक्षा धागा बांधकर भाई बना लिया।
राजा ने कहा कि आप मांगे जो मांग सकती हैं। माता लक्ष्मी ने कहा कि अपने भाई से अपने भगवान विष्णु को मुक्त करना चाहती हैं। भगवान विष्णु को माता के साथ जाने दे। इस पर राजा बलि ने कहा कि मैंने अपनी बहन माना है इसलिए मैं आपकी इच्छा पूरी करता हूं और भगवान आपको वापस लौट आता हूं। तब से रक्षाबंधन त्यौहार मनाया जाने लगा।
संस्कारधानी जबलपुर और आसपास की संस्कृति एक पौराणिक मान्यता की बात करें तो सबसे पहली राखी माता तुलसी या किसी पूज्य पेड़ को बांधी जाती है। इनमें तुलसी नीम पीपल बरगद आदि शामिल है। ऐसा करने बहने संपूर्ण प्रकृति की रक्षा वचन लेती है। साथ ही उन से यह प्रार्थना करते हैं कि उनके भाई भी आप की तरह दीर्घायु हों स्वस्थ निरोगी रहें। वैसे तो राखी वास्तव में हर उस शख्स को बांधी जा सकती है जो आपकी रक्षा का वचन देता है। चाहे भाई हो दोस्त हो या ऑफिस में काम करने वाला कोई सहयोगी बंधुओं वह होता है। जो निस्वार्थ भाव से महिला की रक्षा करता है।