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रामलहर में कांटे की टक्कर, मोदी लहर में सबसे बड़ी जीत

locationजबलपुरPublished: Apr 02, 2019 12:45:01 am

Submitted by:

santosh singh

जबलपुर लोकसभा चुनाव के दिलचस्प आंकड़े

Loksabha Election : BJP Focus On Raath Area While Congress On Mewat

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जबलपुर. आम चुनाव में इस बार भी भाजपा-कांग्रेस के बीच ही मुख्य लड़ाई नजर आ रही है। फिलहाल 23 साल से भाजपा का कब्जा है। इससे पहले कांग्रेस का ये गढ़ हुआ करता था। ये सीट देश में जेपी आंदोलन को सफल होने का पैमाना भी बनी। छात्र राजनीति से सीधे आम चुनाव में उतरकर शरद यादव ने कांग्रेस का किला फतह कर लिया। आंकड़ों पर नजर दौड़ाएं, तो सबसे कड़ा मुकाबला वर्ष 1991 में हुआ। रामलहर के बावजूद भाजपा ये सीट कांग्रेस के श्रवण भाई पटेल से सात हजार वोटों से हार गई। सबसे बड़ी जीत की बात करें, तो भाजपा ने मोदी लहर में 2014 में दर्ज की थी। भाजपा प्रत्याशी राकेश सिंह ने 2.09 लाख वोटों के अंतर से जीत दर्ज किया था।
न्यूज फैक्ट-
वर्ष-1951
जबलपुर-मंडला साउथ
कांग्रेस-2.12 लाख
कांग्रेस-1.81 लाख
एसपी-78.2 हजार
जबलपुर उत्तर-
कांग्रेस-78.9 हजार
निर्दलीय-47.6 हजार
वर्ष-1957-
कांग्रेस-84.8 हजार-
पीएसपी-59.5 हजार
वर्ष-1962-
कांग्रेस-1.05 लाख-
जेएस-49.4 हजार
वर्ष 1967-
कांग्रेस-1.39 लाख-
बीजेएस-74.6 हजार
वर्ष-1977-
बीएलडी-1.94 लाख
कांग्रेस-1.18 लाख
वर्ष-1980-
कांग्रेस आइ-1.72 लाख
जेएनपी-94.8 हजार
वर्ष 1984-
कांग्रेस-2.56 लाख-
बीजेपी-1.34 लाख-
वर्ष-1989-
भाजपा-2.73 लाख
कांग्रेस-1.71 लाख-
वर्ष -1991-
कांग्रेस-1.72 लाख
भाजपा-1.65 लाख
वर्ष-1996-
भाजपा-2.56 लाख
कांग्रेस-1.62 लाख
वर्ष-1998-
भाजपा-3.00 लाख
कांग्रेस-2.16 लाख
वर्ष-1999-
भाजपा-3.00 लाख
कांग्रेस-1.90 लाख
वर्ष-2004-
भाजपा-3.11 लाख
कांग्रेस-2.12 लाख
वर्ष-2009
भाजपा-3.43 लाख
कांग्रेस-2.37 लाख
वर्ष-2014-
भाजपा-5.64 लाख
कांग्रेस-3.55 लाख
पहले आम चुनाव में तीन सांसद चुने गए
देश में पहले आमचुनाव में जबलपुर की दोनों लोकसभा सीट पर कांग्रेस प्रत्याशियों ने जीत दर्ज। मंडला साउथ की सीट पर कांग्रेस के सिम्बल पर लड़े दोनों प्रत्याशी सेठ गोविंद दास और मंगरू प्रसाद सांसद बने थे। विपक्ष के तौर पर सोशलिस्ट पार्टी के खुम्मन सिंह को महज 78 हजार वोट मिले थे। कांग्रेस के दोनों प्रत्याशियों को मिले मतों की तुलना करें तो ये बड़ी जीत होगी। दूसरे आमचुनाव में सेठगोविंद दास 26 हजार, तीसरे में 56 हजार व चौथे में 65 हजार के अंतर से सांसद चुने गए।
आपातकाल की आंधी में ढह गया किला
कांग्रसे का ये मजबूत किला आपातकाल की आंधी में ढह गया। तब छात्र जीवन से राजनीति में कदम रखने वाले शरद यादव ने पहले उपचुनाव में जीत दर्ज की। फिर 1977 के आम चुनाव में 76 हजार वोटों से कांग्रेस के जगदीश नारायन अवस्थी को हराया।
गरीबी हटाओ के नारे में किया असर
1980 में इंदिरा गांधी का गरीबी हटाओ का नारा देश में जादू सा असर किया। इसका असर जबलपुर में दिखा। इस चुनाव में इंदिरा लाओ, गरीबी हटाओं का नारा लोगों की जुबान पर चढ़ गया। कांग्रेस प्रत्याशी मुंदर शर्मा ने जेएनपी प्रत्याशी राजमोहन गांधी को 77 हजार वोटों के अंतर से हराया।
इंदिरा की हत्या के बाद सहानुभूति का लहर
1984 का आम चुनाव इंदिरा गांधी की हत्या और इसके बाद देश भर में हुए सिख दंगों की पृष्ठिभूमि में हुआ। इस चुनाव में सहानुभूति का लहर काम कर गया। कांग्रेस प्रत्याशी अजय नारायन मुशरान ने भाजपा के बाबूराव परांजपे को 1.22 लाख मतों से हरा कर जीत दर्ज की।
बोफोर्स के मुद्दे पर भाजपा ने पहली जीत दर्ज की
1989 का आम चुनाव बोफोर्स के मुद्दे पर लड़ा गया। तब मिस्टर क्लीन वाली राजीव गांधी पर एक बड़ा दाग लगा। विपक्षी पार्टियों का कांग्रेस से इस्तीफा देकर निकले विश्वनाथ प्रताप सिंह की अगुवाई में गठजोड़ बना। तब नारा उछला, राजा नहीं फकीर है, देश की तस्वीर है। इसका असर जबलपुर लोकसभा पर भी पड़ा और बाबूराव परांजपे के रूप में भाजपा ने पहली जीत दर्ज की। उन्होंने कांग्रेस के अजय नारायन मुशरान को एक लाख से अधिक मतों से हराया।
1991 में पहली बार कांटे का टक्कर
वर्ष 1991 का चुनाव राजीव गांधी की हत्या के बाद हुआ। उस समय राम जन्मभूमि मुद्दा भी गरमाया हुआ था। इसका असर जबलपुर लोकसभा चुनाव में भी दिखा। जब कांटे के टक्कर में कांग्रेस प्रत्याशी श्रवण कुमार पटेल ने भाजपा के बाबूराव परांजपे को सात हजार वोटों से हरा दिया।
1996 के बाद बन गया भाजपा का गढ़
वर्ष 1996 के बाद ये सीट भाजपा का गढ़ बनता चला गया। चुनाव दर चुनाव कांग्रेस के प्रत्याशी बदलते गए, लेकिन भाग्य नहीं बदला। 1996 में बाबूराव परांजपे ने कांग्रेस के श्रवण पटेल तो 98 में आलोक चंसौरिया को हराया। वर्ष 1999 में जयश्री बनर्जी ने कांग्रेस के बाबू चंद्रमोहन को हराया। इसके बाद 2004 से राकेश सिंह लगातार सांसद हैं।
मोदी लहर में बड़ी जीत
2014 का आम चुनाव मोदी लहर में हुआ। तब भाजपा ने कांग्रेस के विवेक कृष्ण तन्खा को रेकॉर्ड 2.09 लाख मतों के अंतर से हराया। जबलपुर लोकसभा के इतिहास में ये सबसे बड़ी जीत है। एक बार फिर भाजपा से राकेश सिंह प्रत्याशी बनाया है तो कांग्रेस ने राज्यसभा सांसद विवेक कृष्ण तन्खा को उनके मुकाबले में उम्मीदवार बनाने की तैयारी में है।

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