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world ramayan conference मोरारी बापू बोले: रामायण साम्प्रदायिक ग्रंथ नहीं, बार बार सत्ता चाहिए तो रामायण पढ़ें: देखें वीडियो

locationजबलपुरPublished: Jan 29, 2020 12:42:58 pm

Submitted by:

Lalit kostha

मोरारी बापू बोले: रामायण साम्प्रदायिक ग्रंथ नहीं, बार बार सत्ता चाहिए तो रामायण पढ़ें: देखें वीडियो

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Ramayana not a communal book or granth: morari bapu say

जबलपुर। वर्ल्ड रामायण कॉन्फ्रेंस के समापन अवसर पर बुधवार को संत मोरारी बापू जबलपुर पहुंचे। उन्होंने राम और रामायण पर विस्तृत ज्ञान प्रदान किया। उन्होंने सत्ताधारियों से लेकर सम्प्रदाय विशेष तक पर बातें कहीं। इसके पहले डॉ गुमास्ता बोले निरंतरता बनी रहना चाहिए। इसीलिए दूसरी बार वल्द रामायण का आयोजन किया। जिसमें अकादमिक, सहित्तयिक व आध्यात्मिक मर्मग्यो का संगम हुआ। केंद्रीय व राज्य के संस्कृति विभाग ने भरपूर सहयोग किया, सफलता से अभिभूत।

ये हुए सम्मानित –
usa स्टीफन नेप सम्मानित
मॉरीशस के अरुण बाला, वीनू बाला सम्मानित
थाईलैंड के प्रो चिरापत प्रपत्र विद्या सम्मानित
फारुखी रामायणी सम्मानित


मुरारी बापू का सम्बोधन:-
लोकाभिरामम श्लोक से शुरुआत हुई। साकेत वाशी राजेश्वरानंद जी की चेतना का प्रमाण, मुझे बहुत प्रसन्नता हो रही है। मैं बहुत समय से सुनता आ रहा हूं कि राम का संदेश जन तक पहुचाने विभाग खोलकर रक्खा है। राम परम् तत्व आम जन तक पहुचाना सरकार परम कार्य है। रामायण से रिच कोई नहीं, सार अंस सब विधि तुलसी का उच्चारण। शिव प्रिय मैकल शैल सुता सी, भगवान शंकर को सबसे ज्यादा प्रिय रामचरित मानस व नर्मदा प्रिय है। ऐसे पावन प्रवाह के तट पर ये आयोजन अद्भुत। घर घर मे सुंदरकांड के 25 हजार घरों में पथ जबलपुर में बहुत बड़ी बात है। 

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उर्दू शेर-

अजीब सिलसिला है ये उसकी मोहब्बत का
न उसने कैद में रखा न हम फरार हो पाए
शोक को श्लोक में परिवर्तित किया आदि कवि वाल्मीकि ने, भोले शंकर अनादि कवि हैं। वाल्मीकि ने राम चरित गढ़ करके रघुवंश की पूरी महिमा आमजन तक पहुचा दी। राम राज्य की बापू ग़ांधी से लेकर सभी परिकल्पना करते हैं। रघुवंश के राजा की प्रज्ञआ उसकी ऊंचाई जितनी होती थी, आज तो ऐसा देखने नही मिलता।

ऊंच निवास नीच करतूति इंद्र के लिए तुलसी ने लिखा है, इसीलिए वह किसी की प्रसन्नता को सहन नही कर सकते। रघुवंशियों को उचाई के अनुरूप ही शास्त्र प्राप्त होते थे फिर वे उसी से प्रजा का कल्याण करते थे। भगवान राम का चरित्र इतना व्यापक हो गया रामचरित मानस वैश्वीक ग्रंथ है। इसलिए तो ये आयोजन लोगों ने तो अपना नाम तक बदल दिया रामायण की कृपा से। राम वैश्विक हैं, मानस में पंक्ति है पद पाताल शीष अज धामा। राम अयोध्या बस के नहीं। राम के चरित्र को फ्रेम में नहीं कस सकते एक फोटो में। मंदोदरी ने बताया है राम क्या है वो भी जान ले तो सरकार कैसी चलाना है तो भी रामायण पढ़ो। बार बार सत्ता में आना हो तो भी रामायण पढ़ो। ऋषि मुनियओ का देश रामायण सम्प्रदायिक ग्रंथ नहीं है। रामायण के चार आँचल हैं।

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