जबलपुरPublished: May 18, 2023 12:04:22 pm
Rahul Mishra
इतिहास के पन्नो पर संस्कारधानी का स्वरूप सदैव सर्व धर्म समभाव वाला ही नजर आता है। यहां इतिहास के हर कालखंड में सुयोग्य शासकों ने धर्म, संस्कृति व कला को प्रश्रय दिया। इतिहास के इन्ही भूले बिसरे कालखण्डों की स्मृतियो को भंवरताल स्थित रानी दुर्गावती संग्रहालय में संजो कर रखा गया है। यहां आदिमकाल से लेकर मौर्यकाल, कलचुरिकाल, मुगल व मराठों के शासनकाल तक की स्मृतियां पुरावशेषों के रूप में संरक्षित हैं।
जैन व बौद्ध धर्म की प्रतिमाएं भी हैं संरक्षित
जबलपुर।
इतिहास के पन्नो पर संस्कारधानी का स्वरूप सदैव सर्व धर्म समभाव वाला ही नजर आता है। यहां इतिहास के हर कालखंड में सुयोग्य शासकों ने धर्म, संस्कृति व कला को प्रश्रय दिया। इतिहास के इन्ही भूले बिसरे कालखण्डों की स्मृतियो को भंवरताल स्थित रानी दुर्गावती संग्रहालय में संजो कर रखा गया है। यहां आदिमकाल से लेकर मौर्यकाल, कलचुरिकाल, मुगल व मराठों के शासनकाल तक की स्मृतियां पुरावशेषों के रूप में संरक्षित हैं। ये पुरावशेष स्पष्ट करते हैं कि कला, संस्कृति और धर्म को संस्कारधानी में हमेशा संरक्षण व प्रोत्साहन मिला। इतिहासकारों का कहना है कि खुले आसमान के तले रखे हजारों पुरावशेष व संग्रहालय में इनके रखरखाव का अभाव इन्हें नष्ट कर सकता है। इन्हें भी सुरक्षित छत के नीचे सहेजने की सख्त दरकार है।