जबलपुर। मप्र के महाकौशल क्षेत्र का सबसे बड़ा विवि रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय में कहने को तो तमाम अनियमितताएं हैं। यहां कोई भी काम कराने के लिए पैसे देने पड़ते हैं। शिक्षण सत्र समय पर नहीं हैं। लेकिन, विवि प्रशासन के दावे आसमानी हैं। कहा जा रहा है कि हांगकांग विश्वविद्यालय के साथ एमओयू साइन किया जाएगा। इससे सूक्ष्म समुद्र विज्ञान, टाइगर संरक्षण, आयुर्वेदिक औषधि संरक्षण, संचार कौशल के क्षेत्र में कार्य करने के अवसर पैदा होंगे। इस सम्बंध में रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय कुलपति प्रो. कपिलदेव मिश्र की अध्यक्षता, कुलसचिव प्रो. कमलेश मिश्र की उपस्थिति में विवि के व्यवसायिक एवं कौशल विकास संस्थान प्रभारी प्रो. सुरेंद्र सिंह, प्रो. अंजना शर्मा, मीताली बैनर्जी, हांगकांग के डॉ. संजय नागरकर और संयुक्त राष्ट्र संघ में हांगकांग विवि के प्रतिनिधि डॉ. रीता व्यास नागरकर की उपस्थिति में बैठक हुई। इसमें निर्णय किया गया कि जल्द ही रादुविवि के जीव विज्ञान विभाग और हांगकांग विश्वविद्यालय के बीच एमओयू किया जाएगा।
बताया गया कि जीव विज्ञान विभाग के शोधार्थी सूक्ष्म समुद्र विज्ञान, टाइगर संरक्षण, आयुर्वेदिक औषघि संरक्षण व संवर्धन, संचार कौशल और उद्यमिता के क्षेत्र में शोध के लिए हांगकांग विवि जाएंगे। इसी तरह हांगकांग विवि के शोधार्थी एवं शोध निदेशक अध्ययन के लिए रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय आएंगे। कुलपति प्रो. मिश्र ने बताया कि एमओयू साइन होने से रादुविवि वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान स्थापित करे सकेगा। इस बारे में छात्र संगठनों का कहना है कि विवि प्रशासन को भारी-भरकम ग्रांट मिलती है। लेकिन, इसका सही इस्तेमाल नहीं किया जाता। इसके चलते विवि की इमेज सुधर नहीं पा रही है।
संवेदनशील विभागों में जमे आउटसोर्स कर्मियों को बदलने की मांग
मप्र आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालयों में अनियमितताओं को लेकर एनएसयूआइ ने गुरुवार को प्रदर्शन किया। विवि के परीक्षा, गोपनीय जैसे संवेदनशील विभागों में आउटसोर्स कर्मियों की उपस्थिति को लेकर गम्भीर सवाल उठाए। प्रदर्शनकारियों ने विवि के प्रशासनिक भवन के बाहर नारे लगाए। कुलपति डॉ. टीएन शुक्ला को गड़बडिय़ों के लिए घेरा। भ्रष्टाचार सम्बंधी गम्भीर आरोप लगाते हुए कुलपति से मामले में तत्काल कार्रवाई की मांग की। शीघ्र कार्रवाई नहीं होने पर उग्र आंदोलन का अल्टीमेटम दिया। प्रदर्शनकारी एनएसयूआई कार्यकर्ताओं का आरोप है कि विवि में नियमित कर्मचारियों की संख्या बेहद कम है। आउटसोर्सिंग कर्मियों से गोपनीय, परीक्षा जैसे संवेदनशील विभागों में काम लिया जा रहा है। निजी कम्पनी के कर्मचारी मिलीभगत करके अनियमितता कर रहे हैं। कुछ कर्मचारी अधिकारियों पर दबाव बनाकर मनचाही कुर्सी पर बैठना चाहते हैं। छात्र-छात्राओं के अंकसूची, रिजल्ट सम्बंधी समस्याओं का भी समय पर निराकरण नहीं हो रहा है। कुलपति ने शिकायत की जांच करके कार्रवाई का आश्वासन दिया है।