कचरा सेपरेशन के काम में हाईटेक मशीन लगी हैं। ट्रोमल सेपरेटर, एयर डेंसिटी सेप्रेटर, बेल्ट कन्वेयर के जरिए मिट्टी, पॉलीथिन कं टेंट, पत्थर, ईंट व अन्य कं टेंट को अलग किया जा रहा है। ये काम दिन-रात जारी है। मिट्टी व खाद को उद्यान व फिलिंग साइट में उपयोग किया जाएगा। पत्थर-ईंट को भी फिलिंग साइट में उपयोग किया जाना है। प्लास्टिक कं टेंट का उपयोग बिजली उत्पादन के लिए कठौंदा प्लांट में किया जा रहा है।
बिगड़ी तस्वीर- रानीताल स्थित कचरे के पहाड़ ने शहर की तस्वीर बिगाड़ रखी है। स्वच्छ सर्वेक्षण के दौरान केन्द्र की टीम ने भी शहर के बीचोंबीच बड़ी तादात में डम्प कचरे को लेकर हैरत जताई थी। बाहर से आने वाले लोग भी शहर में कचरे का बड़ा ढेर देखकर हैरान रह जाते हैं।
यह है स्थिति
2 लाख टन से ज्यादा कचरा है डम्प
3 दशक से डम्पिंग ग्राउंड बना है रानीताल
1200 टन कचरा रोज किया जा रहा है प्रोसेस
40-50 टन कचरा रोज भेजा जा रहा है कठौंदा प्लांट
7 महीने लगेंगे पूरा कचरा प्रोसेस होने में
40 से ज्यादा लोगों की टीम दिन-रात कर रही काम
माइनिंग ऑफ लेगेसी वेस्ट एंड रिकवरी ऑफ लेंड एंड रानीताल डम्पिंग ग्राउंड प्रोजेक्ट के तहत कचरे की प्रोसेसिंग की जा रही है। सेपरेशन में निकले कं टेंट को बिजली उत्पादन के लिए कठौंदा प्लांट भेजा जा रहा है। जबकि खाद व मिट्टी उद्यान और खेतों के लिए भेजी जाएगी। पत्थर-ईंट को जमीन पूरने के लिए उपलब्ध कराया जाएगा।
– निधि सिंह राजपूत, सीईओ स्मार्ट सिटी