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इस शहर में हर दूसरे दिन हो एक बच्ची को बलात्कार, चौंका देंगे ये आंकड़े

locationजबलपुरPublished: Dec 14, 2019 04:17:06 pm

Submitted by:

Lalit kostha

ये शहर बन गया रेप सिटी ऑफ इंडिया, हर दूसरे दिन एक बच्ची हो रही हवस का शिकार
 

rape accused arrested by sheopur police

rape accused arrested by sheopur police

जबलपुर. पनागर में पांचवीं में पढऩे वाली स्कूली छात्रा और गोराबाजार में छह वर्षीय बालिका के साथ बलात्कार के प्रकरण में आरोपियों के बारे में जो प्रारंभिक जानकारी सामने आई है वह हर अभिभावक के लिए झकझोर देने वाली है। एक वारदात में आरोपी स्कूली छात्र है तो दूसरे में आरोपी पड़ोस में रहने वाला 13 वर्षीय किशोर है, जो महज पांच दिन पहले संप्रेषण गृह से छूट कर घर लौटा था। इसके पूर्व भी जिले में मासूम बच्चियों के साथ घृणित वारदात सामने आती रही हैं। सिर्फ पुलिस के आंकड़ों को सच मानें तो जिले में हर दो दिन में बलात्कार, छेड़छाड़ व अपहरण की दो वारदातें रोज सामने आ रही हैं।

मासूम और स्कूल जाने वाली छात्राओं से छेड़छाड़ की सबसे अधिक वारदातें

जिले में पिछले 11 महीने में महिला संबंधी अपराधों पर नजर दौड़ाएं तो 1807 प्रकरण अलग-अलग थाना क्षेत्रों में दर्ज है। जबकि वर्ष 2018 में 1794 और 2017 में 1744 कुल अपराध दर्ज हुए थे। इस वर्ष दर्ज कुल प्रकरणों में सिर्फ बलात्कार, छेड़छाड़ व अपहरण के 862 मामले शामिल हैं। इसके बाद मारपीट व प्रताडऩा के प्रकरणों की संख्या पांच सौ के लगभग है।

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गोहलपुर में छात्रा की हत्या –
03 दिसंबर को गोहलपुर में इसी तरह एक सनकी युवक ने नाबालिग छात्रा के घर में घुस कर चाकू से गोदकर हत्या कर दी थी। इसी छात्रा के साथ छेड़छाड़ के
प्रकरण में दो महीने पहले वह जेल जा चुका था। इससे पहले छह सितंबर को कुंडम के जंगल में इसी तरह 12वीं की छात्रा की सिर पर पत्थर पटक कर हत्या कर दी गई थी। उधर 10 जून को सिहोरा में साढ़े चार वर्षीय बालिका से पड़ोस में
रहने वाले 16 वर्षीय नाबालिग ने बलात्कार किया था।

महिलाओं संबंधित अपराध
अपराध 2019 2018 2017
बलात्कार 168 192 144
छेड़छाड़ 308 392 365
अपहरण 386 331 314
(30 नव्बर 2019 तक के आंकड़ें)

 

 

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महिलाओं खासकर मासूम बालिकाओं पर अपराध बढऩे की वजह मनुष्य की मानसिक विकृति का सतह पर आना है। समाज के हर तबके को जागरूक
करने की आवश्यकता है।
– डॉ. नंदिता प्रियंवदा त्रिवेदी, समाजशास्त्री

नाबालिगों से बलात्कार के आरोपियों का इतिहास खंगालें तो उनका बचपन भी ऐसी वारदातों से भरा मिलेगा। अभिभावक बेटियों को अनुशासन में रखते हैं, पर बेटों पर रोक-टोक नहीं करते। स्कूलों में नैतिक शिक्षा देने की जरूरत है। विकृतियां की एक बड़ी वजह सिनेमा, टीवी और मोबाइल भी है।
– डॉ. रत्ना जौहरी, मनोवैज्ञानिक


प्रशासन अभिभावक-टीचर के माध्यम से जागरुकता लाने का प्रयास करेगी। पुलिस इस दिशा में जागरुकता लाने पर काम कर रही है। खासकर नाबालिग जिस
तरह अपराध कर रहे हैं, उसे रोकने के लिए हर स्भव कदम उठाएंगे।
– भरत यादव, कलेक्टर


बलात्कार, छेड़छाड़ की शिकायतों की त्वरित जांच कर आरोपियों को सजा दिलाने का प्रयास करते हैं। कहीं न कहीं समाज में हो रहे नैतिक पतन, कम उम्र में
बच्चों का वयस्क जैसा व्यवहार चिंता का विषय है। अभिभावकों, शिक्षकों, समाज की भी जिम्मेदारी है कि वे बच्चों को संस्कारवान बनाएं। बच्चों की जरूरतों पर अभिभावकों को ग्भीरता दिखानी होगी।
– अमित सिंह, एसपी

 

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