जबलपुर

ये कैसा कल्चर, स्ट्रीट के लिए काट दिए दुर्लभ पेड़

ये कैसा कल्चर, स्ट्रीट के लिए काट दिए दुर्लभ पेड़
 

जबलपुरApr 13, 2018 / 02:00 pm

Lalit kostha

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गौरव दुबे@जबलपुर। स्मार्ट सिटी के तहत होने वाले कार्यों के नाम पर जनता के रुपयों की होली खेली जा रही है। इसकी बानगी भंवरताल उद्यान के समीप बन रही कल्चरल स्ट्रीट में देखने को मिल रही है। कल्चरल स्ट्रीट के पास स्थित नगर निगम के उद्यान विभाग की बगिया को उजाड़ कर इन्टीमेट थियेटर बनाया जा रहा है। इसके लिए विशाल वृक्षों को उखाड़ा और काटा जा रहा है। जिस जगह पर थियेटर बनाया जा रहा है वहां कल्चरल स्ट्रीट के निर्माण के दौरान लाखों रुपए खर्च किए गए थे।

about- कल्चरल स्ट्रीट के पास निगम के नए प्रोजेक्ट की हुई शुरूआत, नर्सरी उजाड़कर बनाया जा रहा ‘आेपन थियेटर’

उद्यान विभाग की नर्सरी की ओर जाने वाले रास्ते पर लाखों रुपए के पत्थर लगाए गए थे। इसके अलावा नर्सरी को सुन्दर व व्यवस्थित करने के साथ ही लाखों रुपए की एलइडी लाइटें लगाई गई थी। हैरानी की बात यह है कि कल्चरल स्ट्रीट को बनते हुए एक साल होने जा रहा है। इसके साथ ही अफसरों ने कल्चरल स्ट्रीट और भंवरताल उद्यान से जुड़े एक हिस्से में १५ करोड़ की लागत से ओपन थियेटर बनाने का ठेका बाहर की कंपनी को दे दिया है।

200 वर्ष पुराने वृक्षों का कत्लेआम
निगम प्रशासन द्वारा सड़क चौड़ीकरण के नाम पर अभी तक पेड़ों को काटा जा रहा था। भंवरताल में उन पेड़ों को काटा या उखाड़ा जा रहा है जो न तो सड़क चौड़ीकरण में बाधक हैं और न ही सड़क पर हैं। ये विशाल वृक्ष नगर निगम की नर्सरी में लगे हैं। यहां २०० वर्ष पुराना पीपल और बरगद का एक वृक्ष है, जिसकी शाखाएं जमीन से एक साथ निकली है, उसे भी काटा जा रहा है। इसके साथ ही यहां पर लगे नारियल, केजूरीना, बरहर, आवला आदि के करीब २७ वृक्षों को काट दिया गया है। नर्सरी के भी पौधे मिट गए हैं, जो बचे हैं उन्हें उद्यान शाखा के कार्यालय के बाहर रख कर छोड़ दिया है।

54 लाख से हुआ था निर्माण
कल्चरल स्ट्रीट बनाने में करीब ५४ लाख रुपए खर्च हुए हैं। उद्यान विभाग के कार्यालय को कल्चरल स्ट्रीट से जोड़ते हुए ठेकेदार ने कार्यालय और नर्सरी के आस-पास पत्थर लगवाए थे। यहां पर ८-१० लाइट के पोल लगाकर प्रकाश व्यवस्था की गई थी। सूत्रों के मुताबिक एक पोल और लाइट की लागत करीब ७० हजार रुपए है। एक साल के भीतर ही लाइटें और पत्थर उखडऩा शुरू हो गए हैं। अब तक करीब तीन हजार पत्थर निकाले जा चुके हैं। जानकारों का कहना है कि नए प्रोजेक्ट की शुरूआत करने में १५-२० लाख रुपए की बर्बादी की जा रही है। जानकारों का कहना यहां लगाए गए पत्थरों का भुगतान भी तक अभी पूरा नहीं हुआ है।

खतरे में स्वीमिंग पूल
जिस जगह पर ओपन थियेटर बनाया जा रहा है वहां पार्र्किंग की कोई व्यवस्था नहीं है। विभागीय सूत्रों के मुताबिक ओपन थियेटर की पार्र्किंग के लिए स्वीमिंग पूल की जगह पर विचार किया जा रहा है। संभवत: छोटे स्वीमिंग पूल की जगह पर मेल्टीलेवल पार्र्किंग की व्यवस्था की जाएगी। इससे आने वाले समय में छोटा स्वीमिंग पूल बंद होने की आशंका है।

आयुर्वेदिक पेड़ भी निशाने पर
जानकारों के मुताबिक बालम खीरा नाम का आयुर्वेदिक पेड़ भी गिराया जा रहा है। यह पेड़ करीब 150 वर्ष पुराना बताया गया है। इस पेड़ के फलों से औषधि तैयार की जाती है।

ये बनाया जाएगा
ऑडिटोरियम (प्रेक्षाग्रह)
ओपन एयर थियेटर
200 लोगों की बैठक

निगम प्रशासन बिना प्लानिंग के कार्य कर रहा है। सदन की बैठक में मैंने पेड़ों को काटे जाने का मुद्दा उठाया था। जिस पर हमें पेड़ नहीं काटने का आश्वासन दिया गया था। जिस जगह ओपन थियेटर बनाया जा रहा है वह गलत है। इस कार्य के लिए सिविक सेंटर की भूमि का चयन होना था।
– राजेश सोनकर, नेता प्रतिपक्ष

तीन ही पेड़ कटेंगे। २५ पेड़ नहीं काटे गए हैं। इन्टीमेट थियेटर का काम अभी तो शुरू हुआ है। पार्र्किंग की व्यवस्था भी तय की जाएगी। थियेटर के नीचे पार्र्किंग बनाने का भी प्रस्ताव है।
– स्वाती गोडबोले, महापौर

भंवरताल के पास इन्टीमेट थियेटर बनाया जा रहा है। उक्त जगह का चयन आवश्यकतानुसार किया गया है। पार्र्किंग स्वीमिंग पूल के पास बनाई जाएगी।
– जीएस नागेश, अपर आयुक्त

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