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घुंघरू की झंकार और तबले की थाप, ऐसी संगत कि सब रह गए हैरान, देखें वीडियो

locationजबलपुरPublished: Mar 12, 2018 06:24:28 pm

Submitted by:

Premshankar Tiwari

अखिल भारतीय राजशेखर समारोह के रंग

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जबलपुर। अखिल भारतीय राजशेखर समारोह में सोमवार को शोध, ज्ञान के साथ नृत्य और नाटिका का भी रंग बिखरा। घुंघरू की झंकार और तबले की थाप पर एक नृत्यांगना ने ऐसी संगत कि कार्यक्रम स्थल में मौजूद सभी लोग हैरान रह गए। तबलावादक के हाथ जितने तेजी से वाद्ययंत्र पर चले उतने ही तेज गति से नृत्यांगना के पैर मंच पर पड़े। दोनों कलाकारों के बीच हुए इस अद्भुत संगत ने दर्शकों को भी थिरकने पर मजबूर कर दिया। शास्त्रीय संगीत और नृत्य की बेहतरीन प्रस्तुति से रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय के प्रेक्षागृह का माहौल ही बदल गया।

नाटक का मंचन
समारोह के दौरान सोमवार को शास्त्रीय नृत्यों की प्रस्तुति के अलावा राजशेखर की रचना पर आधारित नाटक का मंचन भी हुआ। इस दौरान कपूर मंजूरी नाटक की दर्शकों को पूरे समय तक बांधे रखा। बाहर से नाट्य कलाकारों द्वारा दी गई इस नाटिका की प्रस्तुति को सभी ने सराहा। नाटिका और नृत्यों की प्रस्तुति से लंबे समय बाद विश्वविद्यालय के प्रेक्षागृह में कला के विविध रंग बिखरें। इन रंगों को समारोह में जिस तरीके से पिरोकर एक बेहतर कार्यक्रम तैयार किया गया उसकी भी दर्शकों ने प्रशंसा की।

छात्र-छात्राएं और शोधार्थी
समारोह में नृत्य, नाटक के अलावा संगोष्ठी और विविध प्रतियोगिताओं का भी आयोजन हुआ। नृत्य नाटिका में राजशेखर के जीवन की जीवटता और उन्हें संस्कृत की संस्कृति में अब तक जीवित बताया गया। वहीं संस्कृत में प्रस्तुत की गई कविताओं में भी राजशेखर की रचनाओं की प्रेरणा की झलक मिली। छात्र-छात्राओं के साथ ही शोधार्थियों ने भी राजेशखर की रचनाओं और उनके कला पक्ष अपनी प्रस्तुतिओं और रचनाओं के जरिए कार्यक्रम में उपस्थित जनों के सामने रखा।

लगातार घट रही उपस्थिति
लघुकाशी के कालीदास कहे जाने वाले प्रसिद्ध कवि और विद्वान राजेशखर की स्मृति में रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय प्रति वर्ष अखिल भारतीय स्तर पर समारोह आयोजित करता है। उसमें उज्जैन की एक सांस्कृतिक और साहित्यिक संस्था भी सहयोग करती है। लेकिन कई वर्षों से आयोजित किए जा रहे समारोह में छात्र-छात्राओं की उपस्थिति लगातार घट रही है। नृत्य नाटिका सहित सांस्कृतिक समारोह की प्रस्तुति के अलावा बाकी दिनों में कलाकारों को दस कद्रदान भी नहीं मिलते। वहीं, समारोह के अंतर्गत विभिन्न प्रतियोगिताओं में भाग लेने वाले प्रतिभागियों की संख्या भी अंगुलियों में गिनी जा सकती है।

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