हाथ डालने से बच रहे अधिकारी
कार्यपरिषद में मेडिकल अंक घोटाले से जुड़े दो प्राध्यापक और दो कर्मचारियों की बहाली को लेकर मुद्दा रखा गया। हाईप्रोफाइल मामला होने के कारण कोई भी इसमें फंसने से बच रहा है। अभी तक पूरी तरह से न ये आरोप साबित हो सके हैं न ही दोषमुक्त हुए है। विवि प्रशासन ने भी कोर्ट में मामला होने की वजह से इसकी विभागीय जांच नहीं करवाई। जबकि नियमानुसार विभागीय जांच करने की बात कार्यपरिषद सदस्यों ने उठाई।
आचार संहिता के चलते रुके कामों को अनुमति
आचार संहिता के चलते विश्वविद्यालय में निर्माण कार्यों की स्वीकृति अटकी थी। कार्यपरिषद में इस मामले में अनुमोदन किया गया। बैठक में चार कॉलेजों के प्राचार्यो की नियुक्ति का लिफाफा भी खुला। इसके अलावा यूनिवर्सिटी की रद्दी को भी ई-टेंडर के माध्यम से बेचने का निर्णय लिया गया। इसके अलावा तकनीकी कर्मचारियों के वेतन पर भी चर्चा हुई।
निजी कॉलेजोंं को रिसर्च सेंटर बनाए जाने का विरोध
कार्यपरिषद बैठक शुरू होने के पहले रिसर्च स्कॉलरों ने निजी कॉलेजों को रिसर्च सेंटर बनाए जाने का विरोध किया। इसकी शिकायत छात्र अनुज प्रताप सिंह, दीपेश मिश्रा, ओशो गुरुांग आदि ने कार्यपरिषद सदस्यों से की। बैठक में इस मुद्दे को रखा गया। निर्णय लिया गया कि पहले कॉलेजों की जांच कराई जाएगी इसके बाद निर्णय लिया जाएगा।