जबलपुर

इस शहर में स्थापित होगा टेक्सटाइल्स पार्क, हजारों हाथों को मिलेगा रोजगार

पावरलूम और रेडीमेड गारमेंट कारोबार में आएगा बूम

जबलपुरMay 03, 2019 / 07:33 pm

reetesh pyasi

Textiles

जबलपुर। टेक्सटाइल्स के क्षेत्र में जबलपुर भी नई ऊचाइयां छूने के लिए तैयार है। अभी इस उद्योग की छाप यहां चल रहे पावरलूम इंडस्ट्री में नजर आती है। शासन की योजना के के अनुरूप अब यदि टेक्सटाइल्स पार्क की स्थापना होती है, तो न केवल बड़ी इंडस्ट्री आएंगी, बल्कि 10 से 15 हजार लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार मिल सकेगा। इसका फायदा पहले से संचालित रेडीमेड गारमेंट इंडस्ट्री को होगा।

वर्षों पुराना है रेडीमेड गारमेंट का कारोबार
शहर में रेडीमेड गारमेंट का कारोबार वर्षों पुराना है। यहां बने सलवार सूट पूरे देश में प्रसिद्ध हैं। करीब 300 इकाइयां संचालित हो रही हैं। इनमें प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से 10 हजार से ज्यादा लोगों को काम मिला है। लेकिन इस उद्योग की सबसे बड़ी समस्या कच्चा माल है। कपड़ा तैयार होकर दूसरी जगहों से आता है। ऐसे में कारोबारियों को बड़ी परेशानी उठानी पड़ती है। उत्पाद की लागत बढ़ती है। इसका सीधा असर कीमत पर होता है। प्रदेश शासन ने जबलपुर में टैक्सटाइल्स पार्क बनाने की घोषणा की है। इसके लिए भटौली के पास करीब 50 एकड़ जमीन भी चिन्हित की गई है।

यह हो सकता है स्वरूप
टेक्सटाइल्स इंडस्ट्री के साथ गारमेंट मैन्युफैक्चरिंग इकाइयां भी लगाई जाती हैं। इनमें कच्चा माल तैयार होगा। फिर गारमेंट तैयार किया जाएगा। यही पर इस गारमेंट की बिक्री यानि मार्केटिंग की व्यवस्था भी होगी। इसके अतिरिक्त एसेसरीज की सुविधा भी यही होती है। लागत कम होने से यहां के उत्पाद और सस्ते हो सकते हैं। इसी तरह पावरलूम की धागा सम्बंधी जरूरत भी पूरी हो सकती है।
200 इकाइयां गारमेंट क्लस्टर में
शहर में रेडीमेड गारमेंट क्लस्टर संचालित हो रहा है। करीब 60 करोड़ रुपए की लागत से गोहलपुर के लेमा गार्डन में 200 इकाइयां तैयार की गई हैं। इनमें न केवल सलवार सूट बल्कि होजरी आइटम और जींस पैंट व शर्ट का निर्माण भी किया जाएगा। यहां पर डाइंग और वाशिंग प्लांट बनाया गया है। इसमें जींस के पैंट व शर्ट की रंगाई एवं धुलाई हो सकेगी। इसी तरह कॉमन फैसिलिटी सेंटर में इस क्षेत्र से जुड़ी विधाओं का प्रशिक्षण दिया जाएगा।

लूम में बनते हैं गमछा और साड़ी
शहर में लंबे अर्से से पावरलूम पर कपड़ा तैयार किया जाता है। गोहलपुर सहित अन्य इलाकों में करीब 300 पावर लूम संचालित हो रहे हैं। इनमें लगभग 15 सौ लोगों को प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष काम मिला हुआ है। लूम में गमछा, साड़ी, लुंगी और चादर तैयार होती है। लेकिन इनकी गुणवत्ता उच्च किस्म की नहीं होने के कारण मार्केट से उतनी वेल्यू नहीं मिल पाती है। इसलिए पावरलूम क्लस्टर के प्रोजेक्ट पर भी कार्रवाई चल रही है ।इसमें आधुनिक मशीनें तो लगेंगी साथ कपड़ा भी अच्छा बनेगा। दूसरी तरफ टेक्सटाइल्स पार्क बनने से पावरलूम को जल्दी और सस्ता धागा भी मिल सकेगा।
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