सूत्रों के अनुसार प्राइवेट कॉलेजों में पढ़ाने वाले 40 प्रतिशत आयुर्वेद चिकित्सकों का राज्य बोर्ड में पंजीयन नहीं है। नए सत्र की मान्यता के लिए सेंट्रल काउंसिल ऑफ इंडियन मेडिसिन (सीसीआइएम) राज्य बोर्ड में पंजीकृत शिक्षकों की जानकारी का मिलान करेगी। इससे प्रदेश बोर्ड में पंजीयन के बिना प्राइवेट आयुर्वेद कॉलेजों में पढ़ा रहे और चिकित्सा कर रहे डॉक्टरों की परेशानी बढ़ सकती है। सम्बंधित कॉलेज की मान्यता खतरे में पड़ सकती है।
…तो हटा दिया जाएगा नाम
बोर्ड ने पंजीकृत चिकित्सकों के राज्य रजिस्टर की समीक्षा करने का निर्णय किया है। कार्रवाई से पहले बोर्ड ने प्रदेश में कार्य कर रहे आयुर्वेद, यूनानी और प्राकृतिक चिकित्सकों को उपनाम, डिग्री, पता, ईमेल सहित अन्य आवश्यक दस्तावेजों का सत्यापन सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं। अगले माह के पहले सप्ताह तक पंजीयन और अपडेशन की प्रक्रिया पूरी नहीं करने पर सम्बंधित का बोर्ड के राज्य रजिस्टर में डॉक्टर के रुप में पंजीकृत नाम हटा लिया जाएगा।
रजिस्ट्रार ने जारी किया आदेश
आयुर्वेद पीजी एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. राकेश पांडे के अनुसार बोर्ड भोपाल की रजिस्ट्रार डॉ. नीता सिंह की ओर से कॉलेजों को पत्र जारी किया गया है। इसमें सीसीआईएम के दो पत्रों ( 07 दिसंबर, 2018 एवं 27 दिसंबर 2019) का हवाला दिया है। सम्बंधित एएसयू कॉलेजों में काम कर रहे चिकित्सा शिक्षक व चिकित्सकों का पंजीयन मध्यप्रदेश राज्य के बोर्ड में अनिवार्य होने की सूचना दी है। अगले महीने से सीसीआईएम 2020-21 सत्र की मान्यताओं के लिए सभी एएसयू कॉलेजों का निरीक्षण कर गोपनीय रिपोर्ट केंद्र सरकार को देगा। इस रिपोर्ट पर मान्यता पर निर्णय होगा।