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मध्यप्रदेश हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, पार्षदों के जरिए महापौर के निर्वाचन को चुनौती देने वाली याचिका खारिज

locationजबलपुरPublished: Nov 19, 2019 08:30:05 pm

Submitted by:

abhishek dixit

हाईकोर्ट ने नगर पालिक अधिनियम में राज्य सरकार द्वारा किए गए संशोधन के खिलाफ जनहित याचिका की खारिज

high court

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जबलपुर. मप्र हाईकोर्ट में नगरीय निकायों में महापौर, चेयरमैन के पदों का निर्वाचन चयनित पार्षदों के जरिए अप्रत्यक्ष रूप से कराए जाने के खिलाफ दायर की गई चुनौती ठहर नहीं पाई। कोर्ट ने इस संबंध में जनहित याचिका खारिज कर दी। जस्टिस संजय यादव व जस्टिस अतुल श्रीधरन की डिवीजन बेंच ने कहा कि याचिकाकर्ता यह नहीं साबित कर सके कि राज्य सरकार द्वारा नगर निगम एक्ट में इसके लिए किए गए संशोधन असंवैधानिक हैं।

यह है मामला
चेरीताल, जबलपुर निवासी अनवर हुसैन ने याचिका दायर कर कहा कि राज्य सरकार ने 2019 में नगर पालिक अधिनियम 1956 की धारा 9 (1 ) (ए ) व नगर निगम अधिनियम 1961 की धारा 19 (1 ) (ए ) में संशोधन किया। इसके जरिए नगर निगम के महापौर व अन्य नगरीय निकायों के अध्यक्ष पद का निर्वाचन अप्रत्यक्ष प्रणाली से निर्वाचित पार्षदों के जरिए किए जाने की व्यवस्था कर दी। जबकि इसके पूर्व महापौर व अध्यक्षों का निर्वाचन प्रत्यक्ष प्रणाली से आम चुनाव के जरिए किया जाता था।

अधिवक्ता अजय रायजादा ने तर्क दिया कि उक्त संशोधन संविधान के अनुच्छेद 243 आर का उल्लंघन है, जिसमें नगरीय निकायों के निर्वाचन प्रत्यक्ष प्रणाली से करने की व्यवस्था दी गई है। शासकीय अधिवक्ता हिमांशु मिश्रा ने तर्क दिया कि संविधान के इसी अनुच्छेद के परंतुक के अनुसार प्रत्यक्ष प्रणाली से निर्वाचन की व्यवस्था नगरीय निकायों की सभी सीटों के लिए है। लेकिन महापौर व अध्यक्षों के निर्वाचन के लिए नियम बनाने का जिम्मा इसमें राज्य सरकार को दिया गया है। इसलिए संशोधन असंवैधानिक नहीं हैं। तर्क से सहमत होकर कोर्ट ने याचिका निरस्त कर दी।

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