इधर से उधर दौड़ते रहे लोग, नहीं मिले इंजेक्शन
निजी अस्पताल
ज्यादातर जगह भर्ती गम्भीर संक्रमित के परिजनों से रेमडेसीविर इंजेक्शन लाकर देने कहा। डॉक्टर की पर्ची दी और बोले, इसे दिखाकर इंजेक्शन लाकर दीजिए। परिजन पर्ची लेकर दवा दुकान, कलेक्ट्रेट, जनप्रतिनिधियों के कार्यालय के चक्कर काटते रहे।
रेडक्रॉस कार्यालय
अलग-अलग अस्पतालों में भर्ती गम्भीर मरीज के परिजन डॉक्टर की पर्ची लेकर रेमडेसीवर इंजेक्शन के लिए सुबह से खड़े रहे। दोपहर तक कार्यालय का दरवाजा नहीं खुला। कोई जानकारी भी नहीं दी गई। लोग परेशान हुए।
दवा दुकान
ज्यादातर ग्राहकों को लौटाया। डॉक्टर की पर्ची देखने से ही मना कर दिया। ग्राहकों से बोले कि जहां मरीज को जरूरत है वह अस्पताल अपनी मांग भेजेंगे। परीक्षण के बाद उन्हें जैसे ही जिम्मेदार आदेश करेंगे इंजेक्शन संंबंधित अस्पताल में पहुंचा दिया जाएगा।
जिम्मेदार अधिकारी
प्रशासन की ओर से रेमडेसीविर इंजेक्शन की उपलब्धता और कालाबाजारी रोकने के लिए अधिकारी नियुक्त किए गए हैं। इनकी दवा दुकानों में भी तैनाती की गई है। लेकिन ये अधिकारी ना तो फोन उठाते है। ना ही लोगों की समस्या सुनते हैं।
‘इंजेक्शन खुले में बिके, कालाबाजारी को रोकें’
डॉक्टरों का कहना है कि रेमडेसीविर इंजेक्शन की किल्लत में मरीज अभी “पिस रहे है। डॉक्टर सुनील मिश्रा के अनुसार रेमडेसिविर इंजेक्शन को बाजार में खुले विक्रय की अनुमति देना चाहिए। प्रशासन को सिर्फ कालाबाजारी रोकने का प्रयास करना चाहिए। इंजेक्शन की कीमत तय की जा चुकी है, जिस व्यक्ति को जिस कम्पनी का लेना वह ले लें। इससे यह इंजेक्शन बनाने वाली सभी कम्पनियां शहर को आपूर्ति करेंगी। ज्यादा चेक प्वाइंट के कारण अभी हो रही परेशानी कम होगी। इंजेक्शन की उपलब्धता भी बढ़ जाएगी। कोरोना मरीजों का उपचार कर रहे डॉक्टर भी मानते है कि इंजेक्शन आसानी से मिलेंगे और गम्भीर संक्रमित को समय पर लगेंगे वह जल्दी स्वस्थ्य होंगे। इससे आइसीयू और ऑक्सीजन बेड जल्दी खाली होंगे। नए मरीजों को भी समय पर उपचार और बेड उपलब्ध होगा।