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मप्र मेडिकल यूनिवर्सिटी में रिजल्ट घोटाला के बाद बड़ा बदलाव, अब ‘बदनामी का दाग’ हटाने की कवायद

locationजबलपुरPublished: Jul 04, 2021 10:20:22 am

Submitted by:

Lalit kostha

मप्र मेडिकल यूनिवर्सिटी में रिजल्ट घोटाला के बाद बड़ा बदलाव, अब ‘बदनामी का दाग’ हटाने की कवायद
 

medical University

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जबलपुर। परीक्षा में फेल-पास के खेल से लेकर आर्थिंक गड़बडिय़ां उजागर होने से मध्य प्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय को और दागदार होने से बचाने के लिए अब प्रशासन सक्रिय हो गया है। जांच में फंसी परीक्षा नियंत्रक पर सीधी कार्रवाई से हाथ खींचने के बाद अब विवि ने नया पैंतरा अपनाया है। कुछ समय पहले ही प्रतिनियुक्तिपर आए उपकुलसचिव का कद बढ़ाकर परीक्षा नियंत्रक पर शिकंजा कसा है। धांधलियों से विवि की किरकिरी के बाद कुलपति ने नया आदेश जारी कर परीक्षा व गोपनीय विभाग के उपकुलसचिव की जिम्मेदारी बढ़ा दी है। उन्हें ज्यादा जिम्मेदारी सौंपते हुए परीक्षा नियंत्रक के पर कतर दिए हैं।

परीक्षा-परिणाम की धांधली रोकने के लिए नए अधिकारी को जिम्मा सौंपा
उपकुलसचिव का कद बढ़ा परीक्षा नियंत्रक पर शिकंजा कसा

प्रत्येक फाइल और कामकाज पर रखेंगे नजर
परीक्षा-परिणाम में गड़बडिय़ों के बढ़ते मामलों के बीच कुलपति डॉ. टीएन दुबे ने परीक्षा-गोपनीय विभाग की व्यवस्था में बड़ा बदलाव किया है। कुलपति की ओर से आदेश जारी कर उच्च शिक्षा विभाग की ओर से प्रतिनियुक्तिपर भेजे गए प्रो. बीबी सिंह को बतौर उपकुलसचिव बड़ा दायित्व सौंपा है। आदेशित किया है कि परीक्षा विभाग से सम्बंधित समस्त नस्तियां, समस्त कार्य एवं समस्त परीक्षा परिणाम डॉ. सिंह को पहले प्रस्तुत करना होगा। उनके परीक्षण में कार्य संतोषजनक पाए जाने पर ही अग्रिम कार्रवाई के लिए परीक्षा नियंत्रक को प्रेषित की जाएंगी।

एक आदेश से तीन को घेरा
विवि में परीक्षा विभाग की धांधलियों उजागर होने के बाद से नियंत्रक, गोपनीय विभाग के एक बाबू और रिजल्ट सम्बंधी कार्य करने वाली ठेका कंपनी की कार्यप्रणाली संदिग्ध हो गई है। तीनों की साठगांठ से गड़बडिय़ां होने का मामला चिकित्सा शिक्षा विभाग के निर्देश पर कराई गई जांच में सामने आया था। नए आदेश के बाद एक उपकुलसचिव को ज्यादा ताकतवर बनाकर जांच में फंसे तीन चेहरों को घेरा गया है।

प्रशासनिक पैठ
ठेका कंपनी माइंडलॉजिक्स के साथ साठगांठ की जानकारी सामने आने पर कुलपति ने परीक्षा नियंत्रक डॉ. वृंदा सक्सेना से प्रभार छीन लिया था। लेकिन, परीक्षा नियंत्रक और ठेका कंपनी की प्रशासनिक पैठ के आगे कुलपति को चौबीस घंटे के अंदर आदेश वापस लेना पड़ा। बताया जा रहा है कि कंपनी और नियंत्रक की चिकित्सा शिक्षा विभाग सहित सामान्य प्रशासन विभाग के कुछ अधिकारियों के बीच अच्छी पैठ है।

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