फेसबुक पेज पर आर्डर लेकर, कोरियर करता था गिरोह
आयुष्मान योजना के नाम पर ग्रामीणों से लिए गए दस्तावेजों पर एक्टिव 10 हजार सिमों में सात हजार सिम नामी संचार कम्पनी के सेल्स मैनेजर रोहित व रितेश ने जारी किए थे। रितेश मंडला-डिंडोरी और रोहित जबलपुर जिले का प्रभारी था। अन्य तीन हजार सिमें दूसरी संचार कम्पनियों के हैं। आरोपियों में गिरफ्त में आए निशांत पटेल एक्टिवेटेट सिम को फेसबुक पर बने ‘लुटियंस ब्वॉय ग्रुप’ व ‘श्री रिचार्ज बॉक्स’ से जुड़े 1.30 लाख मेम्बरों को डिमांड के आधार पर कुरियर के माध्यम से 300 रुपए प्रति सिम की दर से बेचता था।
कैशबैक ऑफर का भी लाभ लेते थे
सायबर निरीक्षक विपीन ताम्रकार ने बताया कि दोनों ही सोशल ग्रुपों में जुड़े लोग फर्जी नाम-पते वाले हैं। इनकी आपस में मैसेंजर के माध्यम से बात होती थी। निशांत पटेल इस ग्रुप में एक्टिवेटेड सिम की उपलब्धता पोस्ट करता था और फिर बताए गए पते पर कुरियर के माध्यम से भेजता था। आरोपियों में सागर पटेल ग्रामीण क्षेत्रों में जाकर आयुष्मान योजना के नाम पर उनके दस्तावेज लेकर फर्जी सिमें जारी करता था और फिर मौके पर ही उन एक्टिवेट सिम के माध्यम से पेटीएम वॉलेट व एयरटेल बैंक वॉलेट के केवायसी करके सिम निशांत को लौटा देता था। पेटीएम वॉलेट पर उसे कैश बैक का अलग से ऑफर प्राप्त होता था।
ऐसे हुआ खुलासा
इसका खुलासा एमपी हाईकोर्ट में अधिवक्ता नरेंद्र कुमार मिश्रा की शिकायत पर हुआ है। एडवोकेट मिश्रा के नाम पर किसी ने फर्जी फेसबुक मैसेंजर बनाकर दोस्तों से पैसे मांगे थे। राज्य साइबर पुलिस ने इस शिकायत पर प्रकरण दर्ज कर जांच शुरू की तो पता चला कि फर्जीवाड़े में जिस सिम का प्रयोग किया गया वो अंसार चौपड़ा निवासी इमरान उल हक के नाम पर थी। ये सिम आईए सर्विसेज नाम की कम्पनी को जारी हुई थी। जांच में 89 सिमों की जानकारी मिली। इस कम्पनी के दस्तावेज करीबी मित्र अशफाक ने चुराकर अपने मित्र अमित व आकाश को दिए थे। दोनों ने इस दस्तावेजी कम्पनी के नाम पर 600 सिमें जारी करा ली। वहीं अमित ने भी इसी तरह अमित मोबाइल नाम की फर्जी कम्पनी के दस्तावेज तैयार कर 800 सिमें जारी कराई। फिलहाल आरोपियों से पांच मोबाइल व 35 सिम जब्त किए गए।