दुग्ध संघ से केवल 12 फीसदी प्रोसेसिंग
जबलपुर दुग्ध संघ में भी दूध की प्रोसेसिंग केवल 11 से 13 फीसदी ही की जा रही है। इसकी वजह दुग्ध संघ के सीमित दूध होना है। यह दूध दुग्ध संघ पशुपालकों, गांव में दूध समीतियों से खरीदता है। दुग्ध संघ करीब 40 हजार लीटर दूध का उत्पादन करता है। इस दूध में से केवल 5 हजार लीटर दूध की प्रोसेसिंग की जाती है। जबकि 35 हजार लीटर दूध जनता को बेच दिया जाता है।
डेयरी साइंस कॉलेज होगा डेयरी के लिए वरदान
डेयरी साइंस एंड टैक्नोलॉजी कॉलेज की स्थापना किए जाने से आशा की किरण जागी है। शहर में इसकी स्थापना होने से डेयरी उद्योग के लिए यह वरदान साबित होगा। 123 करोड़ से बनने वाले इस कॅालेज को लेकर आवश्यक तैयारियां शुरू कर दी गई हैं। इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चर एंड रिसर्च की 5वीं डीन कमेटी के रिकमंडेशन के अनुसार डेयरी साइंस की स्थापना की जा रही है। विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा कॉलेज के लिए प्लान तैयार किया गया है। वेटरनरी विश्वविद्यालय के इमलिया पशुधन प्रक्षेत्र स्थित 18 एकड़ भूमि में इस कॉलेज को तैयार किया जाएगा। वेटरनरी विवि द्वारा शासन से जल्द राशि जारी करने के लिए कहा गया ताकि योजना को अंतिम रूप दिया जा सके। विवि प्रशासन ने डॉ.सुनील नायक को ओएसडी नियुक्त कर दिया है।
तैयार होंगे डेयरी इंजीनियर
डेयरी साइंस कॉलेज खुलने से डेयरी में इंजीनियरिंग की पढ़ाई शुरू होगी। शार्ट टर्म कोर्स के साथ डिग्री कोर्स भी शुरू होंगे। पहले चरण में 40 सीटों के साथ शुरुआत की जाएगी। फूड प्रोसेसिंग के साथ फूड इंजीनियरिंग की पढ़ाई शुरू होगी। प्रदेश में यह अपनी तरह का इकलौता कॉलेज होगा जो डेयरी साइंस के लिए वरदान होगा।
दुग्ध संघ हो सकता है प्रोसेसिंग का विकल्प
शहर से १.५ लाख लीटर दूध एक्सपोर्ट किए जाने को रोकने के लिए दुग्ध संघ शानदार विकल्प हो सकता है। यदि इस दूध की प्रोसेसिंग दुग्ध संघ के माध्यम से कराई जाए तो दूध से कई डेयरी प्रोडेक्ट जैसे मिल्क कुकीज, मिल्क पाउडर, चाकलेट, बटर, एनर्जी बूस्टर, चीज, श्रीखंड जैसे कई ढेरो उत्पाद शहर में तैयार किए जा सकते हैं। इससे जहां रोजगार के अवसर बढ़ेंगे तो वहीं शहर भी आत्मनिर्भर हो सकेगा।
वर्जन
-दूध का उत्पादन भारत में लगातार बढ़ रहा है। हम 176 मिलियन टन दूध का उत्पादन कर रहे हैं आने वाले समय में यह संख्या और बढ़ेगी। अब जरूरत है कि दूध की प्रोसेसिंग पर भी ध्यान दिया जाए। इसके लिए हमें स्किल्ड और ट्रेंड डेयरी इंजीनियरों की आवश्यकता है।
-डॉ.एके श्रीवास्तव, चेयरमैन एसआरबी
– डेयरी साइंस एंड टैक्नोलॉजी कॉलेज प्रदेश में डेयरी उद्योग के लिए माइल स्टोन होगा। पढ़ाई के साथ ही प्रोसेसिंग भी सिखाई जाएगी। कमेटी ने इसपर काम शुरू कर दिया है। डेयरी पाठयक्रम की शुरुआत होगी। यह विवि का ड्रीम प्रोजेक्ट है इससे रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।
-डॉ.पीडी जुॅयाल, कुलपति वेटरनरी विवि
-प्रोसेसिंग न होने से शहर से डेढ लाख लीटर दूध एक्सपोर्ट हो रहा है। यह दूध हाईक्वालिटी फेट वाला है। प्रोसेसिंग के लिए स्थानीय स्तर पर प्रयास कर विकल्प दिया जा सकता है। प्रशासन के समक्ष बात रखेंगे।
-डॉ.पीजी नाजपांडे, प्रांताध्यक्ष उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच
यह है स्थिति
-13.45 मिलियन टन प्रदेश में दुग्ध उत्पादन
-10 से 12 फीसदी ही प्रोसेसिंग-
45 से 55 फीसदी प्रोसेसिंग गुजरात, राजस्थान में
-11 फीसदी प्रोसेसिंग दुग्ध संघ से
मिल्क प्रोडेक्शन उज्जैन
-17फीसदीजबलपुर
-15फीसदीइंदौर
-14फीसदीग्वालियर
-12फीसदीभोपाल
-11 फीसदीरीवा
-९ फीसदीहोशंगाबाद
-4 फीसदीशहडोल
-3 फीसदी
-3.56 लाख प्रति लीटर दूध का उत्पादन
-1.5 लाख लीटर दूध हो रहा निर्यात
-2 लाख लीटर दूध शहरवासियों को
दुग्ध संघ से उत्पादन
-40 हजार लीटर दुघ संघ से उत्पादन
-3.16 लाख लीटर निजी डेयरियों से