नदी जोड़ो प्लान से सूख रही शक्कर नदी को मिलेगा जीवनदान
फिर से लबालब होंगी दम तोड़तीं नदियां, लहलहाएंगी फसलें
फिर पानीदार होंगी सूख रहीं नदियां, हजारों हेक्टेयर फसलों को मिलेगा पानी
प्वाइंटर
-95839 हेक्टेयर तक बढ़ जाएगा सिंचाई का रकबा
-370.47 मिलियन क्यूबिक मीटर भंडारण क्षमता की परियोजना
-05-10 मेगावाट बिजली का उत्पादन हो सकता है बांध बनने से
यह है स्थिति
-बांध बनने से डूब क्षेत्र में सिंचित या उपजाऊ भूमि नहीं आएगी
-विशेष तकनीक से ऊंचाई वाले क्षेत्रों में सिंचाई सम्भव हो सकेगी
-पहाड़ के पास वी आकार की चट्टानें होने से बांध बनाने के लिए उपयुक्त
जबलपुर
Published: May 10, 2022 08:05:30 pm
जबलपुर. प्रदेश में सूखने की कगार पर पहुंची कुछ नदियों को ‘जीवनदान’ की उम्मीद जगी है। ‘नदी लिंक परियोजना’ दम तोड़ती नदियों में प्राण फूंकने वाली संजीवनी साबित होने वाली है। इस क्रम में नया प्रोजेक्ट नरसिंहपुर में शक्कर-पेंच लिंक संयुक्तपरियोजना के नाम से जुडऩे जा रहा है। 370.47 मिलियन क्यूबिक मीटर भंडारण क्षमता की परियोजना से नरसिंहपुर जिले के चीचली और साईंखेड़ा के अलावा छिंदवाड़ा जिले के अमरवाड़ा विकासखंड की लगभग एक लाख हेक्टेयर कृषि भूमि में सिंचाई का अनुमान है।
चीचली में बढ़ेगा जलस्तर
शक्कर-पेंच लिंक संयुक्त परियोजना के तहत नरसिंहपुर जिले के चीचली विकासखंड अंतर्गत हथनापुर गांव में पहाड़ के पास बांध प्रस्तावित है। यहां वी आकार में चट्टानें हैं। इसे बांध बनाने के लिए उपयुक्तपाया गया है। यहां बांध बनने से शक्कर नदी में साल भर पानी बना रहेगा। इससे क्षेत्र का जलस्तर भी बढ़ेगा। जिले में सिंचाई का रकबा 95839 हेक्टेयर तक बढ़ जाएगा। प्रेशराइज्ड पाइप सिस्टम की विशेष तकनीक से ऊंचाई वाले क्षेत्रों में सिंचाई सम्भव हो सकेगी। खास बात है कि बांध बनने से डूब क्षेत्र में सिंचित या उपजाऊ भूमि नहीं आएगी। इसके अलावा पांच से 10 मेगावाट बिजली का उत्पादन भी हो सकता है। नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण (एनवीडीए) के अनुसार राज्य सरकार ने परियोजना की प्रारम्भिक लागत 3381.80 करोड़ रुपए का अनुमान लगाया था। अब संशोधित लागत 4434.02 करोड़ रुपए कर दी गई है।
उधर विरोध-इधर राहत
नरसिंहपुर में नदी परियोजनाओं को लेकर दो अलग तस्वीरें सामने आई हैं। प्रस्तावित चिंकी-बोरस बैराज संयुक्तपरियोजना के विरोध में 20 गांव के किसान लामबंद हो गए हैं। उनका कहना है कि जमीन डूब में चली जाएगी। प्रशासन के पास विस्थापन की कोई ठोस योजना नहीं है। ऐसे में उन्हें बर्बादी का दंश झेलना पड़ेगा। चिंकी-बोरस बैराज परियोजना के अनुबंध पर पिछले साल हस्ताक्षर हो चुके हैं। 50 मेगावाट से अधिक बिजली उत्पादन क्षमता वाले प्रोजेक्ट की पूर्णता अवधि 72 महीने तय है। वहीं, शक्कर-पेंच लिंक परियोजना में बांध के लिए स्थान का चयन पहाड़ी क्षेत्र में किया गया है। जिम्मेदारों का दावा है कि खेती की उपजाऊ जमीन अथवा गांव बांध के डूब क्षेत्र में नहीं आएंगे। इससे परियोजना के निर्बाध पूरी होने की उम्मीद है।
ये भी हैं प्रदेश से जुड़ी प्रस्तावित नदी लिंक परियोजनाएं
शक्कर-पेंच लिंक संयुक्त परियोजना की तस्वीर तो सकारात्मक है। लेकिन, बूंद-बूंद पानी के लिए जूझते बुंदेलखंड के लिए केन-बेतवा नदी लिंक परियोजना अभी भी तकनीकी स्वीकृतियों के इंतजार में है। इनसे पहले प्रदेश में नर्मदा-क्षिप्रा लिंक परियोजना पूरी कर ली गई है। जल की अधिकता वाले बेसिन को कमी वाले क्षेत्र से जोडऩे के लिए राष्ट्रीय नदी सम्पर्क परियोजना दो दशक से भी अधिक समय से देशभर में चलाई जा रही है। राज्यों के बीच सहमति के आधार पर किसी परियोजना को अंतिम रूप दिया जाता है। इसके कार्यान्वयन के लिए सभी वैधानिक स्वीकृतियां लेना अनिवार्य है।
- केन-बेतवा नदी जोड़ : मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश के बीच लिंक परियोजना की विस्तृत रिपोर्ट में पहला और दूसरा चरण पूरा कर लिया गया है
- पार्वती-काली सिंध-चंबल नदी जोड़ : मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश और राजस्थान के बीच सहमति के आधार पर बनने वाली लिंक परियोजना की साध्यता रिपोर्ट पूरी कर ली गई है।
- पार्वती-कून्नूू-सिंध नदी जोड़ : मध्यप्रदेश और राजस्थान के बीच लिंक परियोजना की भी साध्यता रिपोर्ट पूरी कर ली गई है।
- महानदी-गोदावरी नदी जोड़ : मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, तेलंगाना, ओडिशा, कर्नाटक, महाराष्ट्र और आंध्रप्रदेश के बीच लिंक परियोजना की साध्यता रिपोर्ट पूरी हो गई है।
वर्जन
भविष्य में जल संकट से निपटने में शक्कर-पेंच नदी लिंक परियोजना कारगर सिद्ध होगी। नदियों को जीवनदान मिलेगा और जलस्तर बढ़ेगा। बड़े क्षेत्र में सिंचाई भी सम्भव होगी।
कैलाश सोनी, राज्यसभा सदस्य

River connecting plan
पत्रिका डेली न्यूज़लेटर
अपने इनबॉक्स में दिन की सबसे महत्वपूर्ण समाचार / पोस्ट प्राप्त करें
अगली खबर
