औसतन एक हादसे होते थे पहले-
जिले में सडक़ हादसे में प्रतिदिन औसतन एक मौत होती है। लॉकडाउन के दौरान 70 दिनों में 51 लोगों की मौत सडक़ हादसे में हुई। 35 लोगों की मौत नेशनल और स्टेट हाइवे पर हुए हादसे में हुई। जबकि पांच लोगों ने शहरी सीमा में हुए हादसे में जान गंवाई। 11 हादसे ग्रामीण क्षेत्र की सडक़ों पर हुए। इन हादसों में जान गंवाने वालों मेंं 37 बाइक सवार, 04 पैदल राहगीर और शेष चार पहिया व ट्रक वाले शामिल हैं।
न्यूज फैक्ट-
लॉकडाउन में चरणवार सडक़ हादसों में मौत
21 मार्च से 14 अप्रैल : 11
15 अप्रैल से 02 मई : 07
03 मई से 17 मई : 08
18 मई से 31 मई : 25
लॉकडाउन में फोरलेन व आउटर में हुए हादसे-
लॉकडाउन में शहर में अधिक सख्ती रही। इसका असर यह हुआ कि शहर में न के बराबर हादसे हुए। मार्च माह के आखिरी 10 दिनों में छह लोगों की मौत सडक़ हादसे में हुई। अप्रैल में 2019 में 44 हादसे हुए थे। लॉकडाउन के चलते इस बार ग्राफ गिरकर 20 पर अटक गया। वहीं तीन मई के बाद लॉकडाउन में ढील के साथ सडक़ हादसे भी बढ़ते गए।
एक्सीडेंट प्वाइंट को ट्रैफिक इंजीनियरिंग से ठीक करेंगे-एएसपी
एएसपी ट्रैफिक अगम जैन ने बताया कि लॉकडाउन में ट्रैफिक मूवमेंट नहीं होने से सडक़ हादसे हादसे कम हुए। जहां भी हादसे हुए हैं, उस प्वॉइंट को ट्रैफिक इंजीनियरिंग के माध्यम से सुधार कराकर स्पीड ब्रेकर और ब्लिंकर लगाए जा रहे हैं। बारिश से पहले उन सडक़ों को चिह्नित किया जा रहा है, जहां गड्ढे, ताल का किनारा हो। उन सडक़ों को भी चिह्नित किया जा रहा है, जो पुल-पलियों के कारण जलमग्न हो जाती हैं। अधिक स्पीड वाले मार्ग पर ब्रेकर बनाने के निर्देश दिए हैं।