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road accident in lockdown:लॉकडाउन में सख्ती से कम हुए सडक़ हादसे, छूट मिलते ही आ गई तेजी

locationजबलपुरPublished: Jun 06, 2020 01:24:00 pm

Submitted by:

santosh singh

अप्रैल में सडक़ हादसों में 55 फीसदी की कमी

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road accident

जबलपुर. जिले में लॉकडाउन का असर सडक़ हादसों में भी दिखा। जिले में 21 मार्च से दो मई तक लॉकडाउन में सख्ती से सडक़ हादसों में 55 प्रतिशत की गिरावट आई। लेकिन, जैसे-जैसे लॉकडाउन में ढील मिली, हादसों का ग्राफ भी बढ़ता गया। अब यातायात पुलिस बारिश से पहले एक्सीडेंट प्वाइंट को ट्रैफिक इंजीनियरिंग से सुधारने की कवायद में जुटी है।
न्यूज फैक्ट-
वर्ष 2020 में हादसे में मौत और घायलों की संख्या
माह : मौत : गम्भीर घायल
जनवरी : 34 : 288
फरवरी : 23 : 278
मार्च : 37 : 352
अप्रैल : 20 : 199
मई : 25 : 289
————-
वर्ष-2019 में
माह : मौत : गम्भीर घायल
जनवरी : 42 : 343
फरवरी : 45 : 347
मार्च : 35 : 283
अप्रैल : 44 : 257
मई : 27 : 264

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IMAGE CREDIT: patrika

औसतन एक हादसे होते थे पहले-
जिले में सडक़ हादसे में प्रतिदिन औसतन एक मौत होती है। लॉकडाउन के दौरान 70 दिनों में 51 लोगों की मौत सडक़ हादसे में हुई। 35 लोगों की मौत नेशनल और स्टेट हाइवे पर हुए हादसे में हुई। जबकि पांच लोगों ने शहरी सीमा में हुए हादसे में जान गंवाई। 11 हादसे ग्रामीण क्षेत्र की सडक़ों पर हुए। इन हादसों में जान गंवाने वालों मेंं 37 बाइक सवार, 04 पैदल राहगीर और शेष चार पहिया व ट्रक वाले शामिल हैं।
न्यूज फैक्ट-
लॉकडाउन में चरणवार सडक़ हादसों में मौत
21 मार्च से 14 अप्रैल : 11
15 अप्रैल से 02 मई : 07
03 मई से 17 मई : 08
18 मई से 31 मई : 25
लॉकडाउन में फोरलेन व आउटर में हुए हादसे-
लॉकडाउन में शहर में अधिक सख्ती रही। इसका असर यह हुआ कि शहर में न के बराबर हादसे हुए। मार्च माह के आखिरी 10 दिनों में छह लोगों की मौत सडक़ हादसे में हुई। अप्रैल में 2019 में 44 हादसे हुए थे। लॉकडाउन के चलते इस बार ग्राफ गिरकर 20 पर अटक गया। वहीं तीन मई के बाद लॉकडाउन में ढील के साथ सडक़ हादसे भी बढ़ते गए।

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IMAGE CREDIT: patrika

एक्सीडेंट प्वाइंट को ट्रैफिक इंजीनियरिंग से ठीक करेंगे-एएसपी
एएसपी ट्रैफिक अगम जैन ने बताया कि लॉकडाउन में ट्रैफिक मूवमेंट नहीं होने से सडक़ हादसे हादसे कम हुए। जहां भी हादसे हुए हैं, उस प्वॉइंट को ट्रैफिक इंजीनियरिंग के माध्यम से सुधार कराकर स्पीड ब्रेकर और ब्लिंकर लगाए जा रहे हैं। बारिश से पहले उन सडक़ों को चिह्नित किया जा रहा है, जहां गड्ढे, ताल का किनारा हो। उन सडक़ों को भी चिह्नित किया जा रहा है, जो पुल-पलियों के कारण जलमग्न हो जाती हैं। अधिक स्पीड वाले मार्ग पर ब्रेकर बनाने के निर्देश दिए हैं।

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