मदन महल पहाड़ी समेत अन्य पहाडिय़ां पूर्व में नगर का ‘ऑक्सीजोनÓ थीं। पेड़ों की कटाई और अवैध निर्माण से स्थानीय स्तर पर पर्यावरण को नुकसान पहुंचा है। पहाडिय़ों पर वृहद स्तर पर पौधरोपण क र पौधों को संरक्षित कर लिया जाए तो स्थानीय माइक्रो क्लाइमेट को फिर से संतुलित किया जा सकता है।
डॉ. पीआर देव, वैज्ञानिक
मदन महल पहाड़ी की कब्जा मुक्त हुई जमीन पर फेंसिंग कराई जा रही है। मानसून सीजन में पहाड़ी पर वृहद स्तर पर पौधों का रोपण होगा। इसमें सामाजिक संगठनों, शिक्षा संस्थानों और निजी क्षेत्र की भी मदद ली जाएगी।
जीएस नागेश, अपर आयुक्त, नगर निगम