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देश की सबसे बड़ी चेन मार्केटिंग कंपनी के अधिकारियों ने की धोखाधड़ी, जानें पूरा मामला

locationजबलपुरPublished: Sep 12, 2018 11:20:54 am

Submitted by:

Lalit kostha

देश की सबसे बड़ी चेन मार्केटिंग कंपनी के अधिकारियों ने की धोखाधड़ी, जानें पूरा मामला

जबलपुर। चेन बनाकर सामग्रियों की मार्केटिंग करने वाली कम्पनी के खिलाफ सोमवार रात ओमती थाने में भी प्रकरण दर्ज हुआ। ओमती पुलिस ने रानीताल यादव कॉलोनी निवासी पीडि़त की शिकायत पर कम्पनी में जबलपुर मैनेजर सहित चार लोगों के खिलाफ धोखाधड़ी, मध्य प्रदेश निक्षेपकों के हितों का संरक्षण अधिनियम के तहत प्रकरण दर्ज किया। इससे पहले सिहोरा और खितौला में भी कम्पनी के खिलाफ प्रकरण दर्ज हो चुका है।

पुलिस ने बताया, यादव कॉलोनी निवासी विजय रैकवार ने शिकायत में कहा है कि सेफशॉप कम्पनी में मैनेजर आनंद तिवारी सहित चार अन्य लोगों ने उससे कहा, कम्पनी दैनिक जीवन में उपयोग आने वाले प्रोडक्ट की ऑनलाइन बिक्री करती है। कम्पनी से जुडकऱ हर महीने अच्छी कमाई की जा सकती है। 22 जुलाई को सिविक सेंटर स्थित एक हॉल में कम्पनी का सेमिनार था। इसी दौरान उससे रजिस्ट्रेशन फॉर्म भरने के लिए 600 रुपए और सूट के कपड़े आदि के एवज में आठ हजार रुपए जमा कराए गए। अब तक न तो उसे सूट दिए गए और न ही पैसे लौटाए गए। ओमती थाने में धोखाधड़ी का मामला दर्ज होने के बाद मंगलवार को कम्पनी के अधिकारी और कर्मी एसपी कार्यालय पहुंचे और एसपी को ज्ञापन सौंपा।

कर्मचारियों की गिरफ्तारी पर हंगामा
चेन बनाकर व्यवसाय करने वाली कम्पनी के कर्मियों की रविवार को सिविक सेंटर में हुई गिरफ्तारी को लेकर ओमती थाने में देर रात तक हंगामा चला। कम्पनी के अधिकारियों के खिलाफ जहां फर्जीवाड़े की शिकायत पर पुलिस द्वारा हिरासत में लिए जाने की बात कही जा रही है। कम्पनी से जुड़े कर्मी कार्रवाई का विरोध करते हुए देर तक थाने के बाहर खड़े रहे।

ऐसे शुरू हुआ मामला-
ओमती थाना प्रभारी नीरज वर्मा के अनुसार सेफ शॉप नाम की कम्पनी चेन बनाकर विभिन्न उत्पाद बेचती है। इस कम्पनी से जुड़े कुछ लोगों के खिलाफ सिहोरा और खितौला में धोखाधड़ी का प्रकरण दर्ज है। कम्पनी हर रविवार को चौपाटी के सामने स्थित एक हॉल में कर्मियों की कार्यशाला रखती है। कम्पनी के खिलाफ शिकायत मिलने पर मनोज कुमार सोनी, आनंद तिवारी, दीपक संध्रा, शैलेंद्र अहिरवार को हिरासत में लिया गया है। वे एक सदस्य को जोडऩे के लिए 600 रुपए का शुल्क लेते हैं, लेकिन इसके एवज में कोई रसीद या सामान नहीं दी जाती है। प्रस्तुत दस्तावेजों की जांच के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।

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