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सीरियल में नही मिलेंगे देखने सम्राट ‘अशोक’ के ये 5 रहस्य, यहां पढ़ें…

locationजबलपुरPublished: Jun 19, 2016 05:22:00 pm

Submitted by:

Abha Sen

आज हम आपको अशोक के जीवन से जुड़े  5 रहस्यों के बारे में बता रहे हैं। इतिहासकार इन्हें सत्य मानते हैं। 

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जबलपुर। चक्रवर्तीन सम्राट अशोक इन दिनों लोगों के दिलो दिमाग पर छाया हुआ है। अशोक के जीवन का संघर्ष किसी को प्रेरणा दे रहा है तो कोई इसे बेहतरीन किरदार मान रहा है। वैसे ये तो सर्वविदित है कि महान सम्राट अशोक को सिर्फ कलिंग युद्ध के लिए ही नही बल्कि उनके द्वारा किए गए उत्कृष्ट कार्यों के लिए भी याद किया जाता है। आज हम आपको अशोक के जीवन से जुड़े कुछ ऐसे 5 रहस्यों के बारे में बता रहे हैं जो शायद ही आपको सीरियल में देखने मिलें, लेकिन इतिहासकार इन्हें सत्य मानते हैं। 

1. बिंदुसार की 16 पटरानियों और 101 पुत्रों का उल्लेख इतिहास में है। उनमें से सुसीम अशोक का सबसे बड़ा भाई था। तिष्य अशोक का सहोदर भाई और सबसे छोटा था। श्यामक अशोक का भाई नहीं था। कहते हैं कि भाइयों के साथ गृहयुद्ध के बाद अशोक को राजगद्दी मिली। 


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2. सम्राट अशोक को देवानांप्रिय अशोक मौर्य सम्राट कहा जाता था। देवानांप्रिय का अर्थ देवताओं का प्रिय। ऐसी उपाधि भारत के किसी अन्य सम्राट के नाम के आगे नहीं लगाई गई। हालांकि देवानांप्रिय शब्द (देव-प्रिय नहीं) पाणिनी के एक सूत्र के अनुसार ये अनादर का सूचक है, क्योंकि अशोक से बड़ा हिंसक भारत की भूमि पर इससे पहले कोई नहीं हुआ।


3. 9 रत्न रखने की परंपरा की शुरुआत सम्राट अशोक और उज्जैन के राजा विक्रमादित्य से मानी जाती है। उनके ही अनुसार बाद के राजाओं ने भी इस परंपरा को निभाया। अकबर ने अपने दरबार में 9 रत्नों की नियुक्ति सम्राट अशोक के जीवन से प्रेरित होकर ही की थी।

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4. ऐसा माना जाता है कि सम्राट अशोक ने प्रमुख 9 लोगों की एक ऐसी संस्था बनाई थी जिन्हें कभी सार्वजनिक तौर पर उपस्थित नहीं किया गया और उनके बारे में लोगों को कम ही जानकारी थी। यह कहना चाहिए कि आमजन महज यही जानता था कि सम्राट के 9 रत्न हैं जिनके कारण ही सम्राट शक्तिशाली है।

5. अशोक के काल में भारत में जातिवाद नहीं था। उस काल में जनसंख्या भी कम थी तो जातिविहीन शील-संपन्न गुणों से उच्च आदर्श विचारों का समाज था।
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