जबलपुर

सवर्णों को 10 प्रतिशत आरक्षण… हुआ कुछ ऐसा कि देखते रह गए लोग

सवर्णों को मिलेगा 10 प्रतिशत आरक्षण

जबलपुरJan 07, 2019 / 07:06 pm

Premshankar Tiwari

सवर्णों को मिलेगा 10 प्रतिशत आरक्षण

जबलपुर। लोकसभा चुनाव से पहले मोदी सरकार ने सवर्णों को बड़ा तोहफा दिया है। इसके तहत आठ लाख रुपए से कम वार्षिक आय वाले और आर्थिक रूप से कमजोर सवर्णों को 10 प्रतिशत आरक्षण देने की घोषणा की गई है। इसका फैसला सोमवार को केन्द्रीय कैबिनेट में लिया गया। दिल्ली में हुए इस फैसले की खुशी जबलपुर व आसपास के अंचलों तक दिखाई दी। छोटा फुहारा, बड़ा फुहारा, मिलौनीगंज, विजय नगर आदि में युवाओं ने जमकर पटाखे चलाए और मिठाइयां बांटकर खुशी का इजहार किया। युवाओं का अंदाज व उत्साह कुछ ऐसा था कि लोग देखते रह गए। आसपास काफी भीड़ जमा हो गई। प्रबुद्धवर्ग के कुछ लोगों ने इसे सवर्ण समाज की भावनाओं की जीत बताया तो कुछ ने इसे महज पॉलिटिकल स्टंट भी करार दिया।

आर्थिक आधार पर निर्धारण
उल्लेखनीय है कि लोकसभा चुनाव के मद्देनजर मोदी सरकार ने सवर्णों को आर्थिक आधार पर 10 प्रतिशत आरक्षण देने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। सोमवार को हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में यह फैसला किया गया। यह आरक्षण सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश के लिए आर्थिक आधार पर दिया जाएगा। जानकारों के अनुसार इस आरक्षण का फायदा उन लोगों को मिलने की संभावना है जिनकी सालाना आमदनी 8 लाख रुपए से कम है और जिनके पास पांच एकड़ तक जमीन है। यह 10 प्रतिशत आरक्षण मौजूदा 49.5 प्रतिशत कोटे के अलावा होगा। आरक्षण लागू कराने के लिए सरकार को संविधान संशोधन विधेयक पारित कराना होगा, जो संभवत: मंगलवार को पेश किया जा सकता है।

एट्रोसिटी एक्ट का इफेक्ट
राजनीतिक के विश्लेषक मोदी सरकार के इस निर्णय को एट्रोसिटी एक्ट से उपजी नाराजगी से जोडकऱ देख रहे हैं। वरिष्ठ विचारक अरुण शुक्ला का कहना है कि एट्रोसिटी एक्ट के विरोध के बीच सन् 2018 में मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव से पहले सवर्ण आंदोलन शुरू हुआ था। इसका सबसे ज्यादा असर मध्यप्रदेश में देखा गया था। तीनों राज्यों में कांग्रेस को जीत मिली । अनुसूचित जाति-जनजाति संशोधन अधिनियम के खिलाफ सवर्ण संगठनों ने सितंबर में भारत बंद का आयोजन भी किया था।

नेताओं ने दी ये प्रतिक्रिया
भाजपा नेता आरके तिवारी का कहना है कि मोदी सरकार का यह कदम बेहद प्रशंसनीय है। सवर्ण समाज में भी कई परिवार ऐसे हैं, जिनकी माली हालत ठीक नहीं है। सरकार की इस पहल से ऐसे परिवारों को लाभ मिलेगा। कांग्रेस नेता धनीराम कोष्टा का कहना है कि यह आरक्षण महज एक चुनावी स्टंट है। पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद भाजपा अब लोगों को साधने का यह हथकंडा अपना रही है। सपा नेता राघवेन्द्र शुक्ला का मानना है कि मोदी सरकार ने यह सब लोकसभा चुनाव को दृष्टिगत रखते हुए किया है। इतने कम आरक्षण से सवर्ण समाज का भला होने वाला नहीं है, फिर भी कदम को अच्छा कहा जा सकता है।

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