भोपाल निवासी सीमा वहाने की ओर से याचिका प्रस्तुत कर अधिवक्ता ब्रह्मानन्द पांडे ने कोर्ट को बताया कि वह अभियोजन विभाग में सहायक ग्रेड 2 पर कार्यरत है। उसे विभाग ने भोपाल के मदन महाराज निजी महाविद्यालय से बीए एलएलबी कोर्स करने सुबह 7 से 9 बजे की पार्ट टाइम क्लास में शामिल होने की अनुमति दी। लेकिन एलएलबी करने के बाद नियमानुसार एडीपीओ पद पर पदोन्नत नहीं किया गया। सुनवाई के दौरान अधिवक्ता ब्रम्हानंद पाण्डेय ने कोर्ट को बताया कि ऐसे कई कर्मचारियों को कोर्स करने की अनुमति अभियोजन संचालनालय और कॉलेजों ने दी है। ऐसे कर्मचारियों ने नौकरी के साथ-साथ लॉ डिग्री हासिल की और एडीपीओ बन गए। याचिकाकर्ता ने 2017 में याचिका दायर कर बताया कि वह सहायक ग्रेड-2 के पद पर कार्यरत है और उसे भी अन्य उम्मीदवारों के समान लॉ डिग्री पूरी करने पर एडीपीओ के पद पर प्रमोशन दिया जाना चाहिए।
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि बार काउंसिल ऑफ इंडिया की गाइडलाइन के अनुसार 2006 के बाद केवल फुल टाइम कोर्स संचालन की ही अनुमति है। ऐसे में पार्ट टाइम एलएलबी कोर्स की अनुमति कैसे दी गई ? फिर ऐसे कितने अधिकारियों को एलएलबी करने की वजह से पदोन्नति दी गई?
कोर्ट ने पूछा कि किन परिस्थितियों में कितने ऐसे फुल टाइम कर्मचारियों को लॉ कोर्स करने की अनुमति दी गई। संचालक को कहा गया कि वे यह भी बताएं कि ये अनुमति फुल टाइम कोर्स के लिए थे या पार्ट टाइम के लिए। इन पाठ्यक्रमों में दी गई डिग्रियों की क्या वैधानिकता है। कोर्ट ने स्पष्ट किया की यदि स्वयं का शपथ पत्र पर उक्त तथ्य और रिकॉर्ड पेश नहीं किए गए तो संचालक अभियोजन संचालनालय को व्यक्तिगत रूप से हाजिर होना पड़ेगा। अगली सुनवाई 8 अप्रेल को होगी।