कलेक्टर कार्यालय में महीने के प्रत्येक सोमवार को समय सीमा समीक्षा बैठक होती है। इसमें सभी विभागों के कामों की समीक्षा होती है। कितने काम पूरे हुए कितने अधूरे हैं। यही नहीं पिछली बैठक में हुए निर्णय और दिए गए निर्देशों का पालन किस स्तर तक किया गया, इन तमाम बातों पर चर्चा होती है। इसमें जिले के लगभग सभी विभागों के अधिकारी या उनके प्रतिनिधि मौजूद रहते हैं। लेकिन मुख्यालय से दूरी होने के कारण तहसील के अधिकारी कई बार बैठक में नहीं पहुंच पाते। अगर अधिकारी मौजूद हैं तो ठीक नहीं तो किसी भी कलेक्टर का वहां के अधिकारियों से बैठक के समय संपर्क नहीं हो पाता।
जिले में हैं दस तहसील
नए कलेक्टर भरत यादव ने पिछली बैठक में तहसीलों में पदस्थ एसडीएम और तहसीलदारों को ऑनलाइन कनेक्ट कर संबंधित मामलों पर संवाद किया। हालांकि दो तहसील सिहोरा और मझौली कनेक्ट नहीं हो पाई थी। ज्ञात हो कि सिहोरा, पाटन, मझौली, शहपुरा, जबलपुर, पनागर, कुंडम के अलावा रांझी, अधारताल और गोरखपुर तीन नई तहसील हैं। क्या होगा फायदाजिले में दस तहसील हैं। शहरी क्षेत्रों में स्थित तहसीलोंं के एसडीएम और तहसीलदार तो बैठकों में अमूमन शामिल हो जाते हैं। कई बार वह भी काम अधिक होने की वजह से नहीं आते। इस व्यवस्था से समय एवं धन दोनों की बचत होगी।
जनसुनवाई में अभी नहीं
इस व्यवस्था हर मंगलवार को होने वाली जनसुनवाई के दिन भी लागू किया जाना था। लेकिन इस बार नई व्यवस्था पर काम नहीं किया गया। लेकिन इसके लिए काम शुरू हुआ था तो संभवत: अगले मंगलवार से व्यवस्था शुरू हो सकती है।
ऑनलाइन वीडियो कान्फ्रेंसिंग सिस्टम से मझौली एवं सिहोरा तहसील को भी जोड़ दिया गया है। इसकी टेस्टिंग की गई। पूरा सिस्टम काम कर रहा है। अब जिले की सभी तहसील इस पद्धति से जुड़ गई हैं।
चित्रांशु त्रिपाठी, जिला प्रबंधक ई-गवर्नेंस