जबलपुरPublished: May 29, 2019 12:18:30 pm
santosh singh
डीआइजी भगवत सिंह चौहान ने विभागीय जांच में एएसआइ को पुलिस रेग्युलेशन एक्ट के उल्लंघन का दोषी पाते हुए अनिवार्य सेवानिवृत्ति का आदेश दिया है।
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जबलपुर. धनवंतरी नगर स्थित जसूजा सिटी में एसडीएम व तहसीलदार के पास दो युवतियों को भेजकर ब्लैकमेल करने के प्रकरण में शामिल महिला थाने के एएसआइ पर बड़ी गाज गिरी है। डीआइजी भगवत सिंह चौहान ने विभागीय जांच में एएसआइ को पुलिस रेग्युलेशन एक्ट के उल्लंघन का दोषी पाते हुए अनिवार्य सेवानिवृत्ति का आदेश दिया है। एएसआइ की अभी दो वर्ष की नौकरी बची है। वहीं, मझौली से जुड़े एक प्रकरण में वहां पदस्त रहे तत्कालीन एएसआइ को भी कदाचार का दोषी पाते हुए एक वर्ष के लिए पदअवनिति देते हुए हवलदार बनाए जाने का आदेश दिया है।
29 सितम्बर की थी घटना
29 सितम्बर को महिला थाने में पदस्थ एएसआइ रामप्रसाद गोटिया ने कुछ कथित पत्रकारों के साथ मिलकर पहले मदन महल स्थित गुप्ता होटल में दो युवती के साथ पहुंचे। वहां पूरा षड्यंत्र रचा गया। दोनों युवतियों को बाद में धनवंतरी नगर स्थित जसूजा सिटी में तत्कालीन शहपुरा तहसीलदार अनूप श्रीवास्तव व पाटन एसडीएम पीके सेन गुप्ता के पास भेजा गया। इसके बाद कथित पत्रकार और एएसआइ मौके पर पहुंचे और फोटो-वीडियो बनाकर दोनों अधिकारियों से लाखों की डिमांड करने लगे। मौके पर तत्कालीन धनवंतरी चौकी प्रभारी निकिता शुक्ला पहुंचीं, तब टीआइ और फिर अधिकारियों तक बात पहुंची थी।
एएसपी संजीव उइके को मिली थी जांच
तत्कालीन एसपी अमित सिंह ने मामला तूल पकडऩे पर एएसपी संजीव उईके को जांच सौंपी थी। जांच के बाद एएसआइ रामप्रसाद गोटिया को निलम्बित कर दिया गया था। उन पर आरोप पाया गया कि उन्होंने कार्रवाई की पूर्व सूचना न तो थाना प्रभारी को दिया और न अन्य अधिकारियों को बताया। रोजनामचे में भी इसका जिक्र नहीं किया गया।
फरवरी 2019 में डीआइजी को मिली विभागीय जांच
डीआइजी भगवत सिंह चौहान को मामले की विभागीय जांच 25 फरवरी 2019 को आइजी ने सौंपा। डीआइजी के मुताबिक विभागीय जांच में एएसआइ पर आरोप सिद्ध पाए गए। एएसआइ ने स्वेच्छाचारिता और संदिग्ध आचरण पेश किया। इसके चलते पुलिस रेग्युलेशन एक्ट के पैरा 64 (2) और 64 (4) का उल्लंघन पाए जाने पर बाध्य सेवानिवृत्ति का आदेश जारी किया।
इधर, एएसआइ को बनाया हवलदार
डीआइजी ने मझौली के एक प्रकरण में वहां पदस्थ रह चुके एएसआइ रज्जूलाल बरकड़े को एक वर्ष के लिए पदावनति देते हुए एक वर्ष के लिए हवलदार बना दिया। डीआइजी के मुताबिक बरकड़े मझौली में पदस्थापना के दौरान 31 अक्टूबर 2015 से सात जून 2016 तक बिना अवकाश लिए गैरहाजिर था। इस दौरान उसे छह प्रकरणों का चालान कोर्ट में पेश करना था। उसने बिना कोर्ट में चालान पेश किए ही रोजनामचे में प्रस्तुत करने का जिक्र कर दिया था। जांच में उस पर आरोप सिद्ध पाए गए। वर्तमान में वह पुलिस लाइन में पदस्थ है।