जबलपुर। चालीस किमी की परिधि में बसा नगर, 79 वार्ड, कहने को दोहरी सफाई व्यवस्था लागू पर स्वच्छता सर्वे में जबलपुर लगातार फिसड्डी साबित हो रहा है। स्वच्छता सर्वे 2020 में रैंकिं ग को लेकर नया फार्मेट जारी हो चुका है। ऐसे में जानकारों का मानना है कि पूरे शहर में एक जैसी सफाई व्यवस्था लागू करके स्वच्छता के पैमाने पर जबलपुर को नम्बर 1 बनाने का लक्ष्य हासिल नहीं किया जा सकता। इसके लिए सेक्टोरल प्लानिंग करने की आवश्यकता है। साथ ही क्षेत्र और सेक्टरवार प्लानिंग करके पूरी सफाई व्यवस्था जवाबदेह बनाने की दरकार है। इतना ही नहीं तीन साल से रैंकिं ग में पिछडऩे के कारणों पर फ ोकस कर बेहतर परिणाम के लिए प्रयास करने होंगे।
ऐसे करना होगी सेक्टोरल प्लानिंग
– चाट-पकौड़े, चौपाटी वालों के लिए जागरुकता का अलग अभियान, डस्टबिन की व्यवस्था, जुर्माना का निर्धारण
– अस्पतालों का स्टाफ जागरूक किया जाए जिससे ई वेस्ट का संग्रहण व निपटारा व्यवस्थित हो
– सब्जी मंडियों से कचरा संग्रहण व परिवहन का अलग प्लान बने
– सार्वजनिक स्थानों की सफाई व रखरखाव के लिए अलग टीम व निगरानी तंत्र बने
– नर्मदा तटों व तालाबों की उपयुक्त सफाई व्यवस्था की जाए
– प्रमुख रिहायशी इलाकों व स्लम बस्तियों का अलग सफाइ प्लान बने
– सभी वार्ड साफ सुथरे बनाने जोन स्तर पर हो प्रतिस्पर्धा, सम्भागीय अधिकारियों की जिम्मेदारी हो सुनिश्चित
– जागरुकता के लिए नगर निगम के अलावा अन्य शासकीय विभाग व स्कूल-कॉलेजों को जोड़ा जाए
मौजूदा स्थिति
फिलहाल घरों के आंगन, गली, मोहल्लों और सड़कों पर से कभी कचरा उठता है तो कभी बड़ा ढेर लग जाता है। डोर टू डोर कचरा संग्रहण व्यवस्था हर दस से पंद्रह दिन में ठप हो जाती है, यह व्यवस्था दशहरा, दीपावली, होली, पर्व के दौरान चरमरा जाती है। निगम के जिम्मेदार सफाई ठेकेदार पर कार्रवाई नहीं करते।
दोहरी व्यवस्था
शहर में सफाई के लिए दोहरी व्यवस्था लागू है। 41 वार्डों में निगम के कर्मचारी और 38 वार्डों में ठेकेदार पर सफाई का जिम्मा है।
अब ऐसे होना है अंकों का निर्धारण
पहले स्वच्छता सर्वें में निर्धारित पांच हजार अंकों में से रैंकिं ग का निर्धारण किया जाता था। वर्ष 2020 के लिए रैंकिंग निर्धारित करने प्रत्येक तिमाही के लिए दो हजार अंकों का फॉर्मूला तय किया गया है। अप्रैल से जून तक इस दिशा में किए प्रयासों के आधार पर अंकों का निर्धारण होगा। जुलाई से सितंबर के बीच किए गए कार्यों को आधार बनाकर अंक निर्धारित किए जाएंगे। इसी तरह से अक्टूबर से दिसंबर के बीच नगर निगम द्वारा किए कार्यों का आंकलन केन्द्रीय शासन की टीम के द्वारा किया जाएगा।
अंकों का ऐसे होना है निर्धारण
– 100 अंक स्वच्छता को लेकर क्षमता वृद्धि
– 500 अंक ठोस अपशिष्ट प्रबंधन कचरा संग्रहण व ट्रांसपोर्टेशन
– 500 अंक सस्टेनेबल सेनीटेशन
– 700 अंक प्रोसेसिंग व डिस्पोजल
– 200 अंक आइसी
इन बिंदुओं पर होगा फोकस
– सार्वजनिक स्थल कितने साफ सुथरे हैं
– घरों से कचरा संग्रहण व परिवहन की व्यवस्था में कितना सुधार हुआ
– कितने कचरा संग्रहण बिंदु बनाए गए
– कचरा संग्रहण करने वालों की स्वास्थ्य सेवाओं के लिए क्या किया गया
– क्या शहर कचरा के ढेरों से मुक्त हुआ
– पॉलीथिन के इस्तेमाल पर रोक का कितनी कड़ाई से पालन हो रहा है
– प्लास्टिक वेस्ट विनिष्टिकरण के इंतजाम
– सूखे व गीले कचरे के अलग संग्रहण व निबटारे की व्यवस्था
– जल आपूर्ति व जल प्रबंधन की व्यवस्था
– बारिश जल निकासी की व्यवस्था कितनी उपयुक्त
– नागरिकों से स्वच्छता के सभी महत्वपूर्ण बिंदुओं पर लिया जाएगा फीडबैक
– ओडीएफ की दिशा में शहर की मौजूदा स्थिति
सफाई व्यवस्था को बेहतर करने निगम के सभी सम्बंधित अधिकारी काम कर रहे हैं। जोन स्तर पर व्यवस्था में और सुधार किया जाएगा। स्वच्छता सर्वे 2020 की रैंकिं ग के लिए जारी गाइड लाइन को मानक बनाकर प्रत्येक तिमाही में लक्ष्य हासिल करने पूरी टीम काम करेगी।
– जीएस चंदेल, स्वास्थ्य अधिकारी, नगर निगम