scriptSep 2017 navratri colors- तंत्र साधना के लिए प्रसिद्ध है गोंड राजाओं का यह मंदिर, नवरात्र में चढ़ाएं जाते है त्रिशूल | Sep 2017 navratri colors | Patrika News

Sep 2017 navratri colors- तंत्र साधना के लिए प्रसिद्ध है गोंड राजाओं का यह मंदिर, नवरात्र में चढ़ाएं जाते है त्रिशूल

locationजबलपुरPublished: Sep 23, 2017 02:37:13 pm

Submitted by:

deepankar roy

संस्कारधानी में बूढ़ी खेरमाई मंदिर में करीब 15 सौ वर्ष प्राचीन देवी पद्मावती की प्रतिमा

Sep 2017 navratri colors, Religion,Navratri,Durga,navratri news,puja,colors,nav durga,Navratri Poojan,Durga Navratri,maa durga,pooja,dharm, karam, navratri, Navratri 2017,Navratri Colors

Sep 2017 navratri colors

जबलपुर। शहर के शक्तिपीठों में महत्वपूर्ण स्थान रखने वाली चार खम्भा स्थित बूढ़ी खेरमाई का मंदिर तंत्र साधना के लिए भी विख्यात है। इस सिद्धपीठ का निर्माण गोंड राजाओं ने कराया था। मंदिर में स्थापित सैंड स्टोन से निर्मित देवी पद्मावती की प्रतिमा लगभग पंद्रह सौ वर्ष प्राचीन है। यह प्रतिमा शहर में सबसे पुरानी मानी जाती है। इसलिए भी इन्हें बूढ़ी खेरमाई नाम से पुकारा जाता है। मंदिर का विशाल प्रांगण है। प्राचीन समय में मंदिर के इस प्रांगण का उपयोग तांत्रिक तंत्र साधना के लिए किया जाता था।
मूल प्रतिमा के सामने नई प्रतिमा
मंदिर में देवी पद्मावती की सैंड स्टोन की मूर्ति मंदिर प्रबंधन ने सहेज कर रखी है। मंदिर प्रबंधन सदस्यों के अनुसार मूल प्रतिमा सैंड स्टोन से बनी होने के कारण जल की धार से इसके क्षरण का खतरा था। इन कारणों के चलते मूल प्रतिमा पीछे कर आगे नई प्रतिमा स्थापित की गई है।
इस मंदिर के भक्त अपने शरीर में छेद लेते है बाण
बूढ़ी खेरमाई मंदिर की भक्तों द्वारा हर नवरात्र में चढ़ाए जाने वाले बानों (त्रिशूल) के लिए अलग ख्याति है। जवारा विसर्जन जुलूस में सैकड़ों की संख्या में देवी भक्त अपने शरीर में बड़े-बड़े बाने छेद कर चलते हैं। सबसे बड़े बाने को ग्यारह भक्त एक साथ धारण कर जुलूस में चलते हैं। भक्तों की बड़ी संख्या के कारण हर वर्ष मंदिर में बानों का भंडार लग जाता है।
नवरात्र के नव रंग
शैलपुत्री पूजा- लाल रंग
नवरात्र के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है। मां को समस्त वन्य जीव-जंतुओं का रक्षक माना जाता है। इनकी आराधना से आपदाओं से मुक्ति मिलती है।
चंद्र दर्शन– गहरा नीला
चंद्र दर्शन के दिन नीला रंग पहने। नीला रंग शांति और सुकून का परिचायक है। सरल स्वभाव वाले सौम्य व एकान्त प्रिय लोग नीला रंग पसन्द करते हैं।
ब्रह्मचारिणी पूजा- पीला
नवरात्र के दूसरे दिन मां के ब्रह्मचारिणी स्वरुप की आराधना की जाती है। माता ब्रह्मचारिणी की पूजा और साधना करने से कुंडलिनी शक्ति जागृत होती है।
चंद्रघंटा पूजा- हरा
नवरात्र के तीसरे दिन मां दुर्गा की तीसरी शक्ति माता चंद्रघंटा की पूजा अर्चना की जाती है। मां चंद्रघंटा की उपासना से भक्तों को भौतिक , आत्मिक, आध्यात्मिक सुख और शांति मिलती है।
कुष्माण्डा पूजा- स्लेटी
नवरात्र के चौथे दिन मां पारांबरा भगवती दुर्गा के कुष्मांडा स्वरुप की पूजा की जाती है। माना जाता है कि जब सृष्टि का अस्तित्व नहीं था , तब कुष्माण्डा देवी ने ब्रह्मांड की रचना की थी।
स्कंदमाता पूजा- नारंगी
नवरात्र के पांचवें दिन मां स्कंदमाता की पूजा की जाती है। स्कंदमाता की उपासना से बालरूप स्कंद भगवान की उपासना अपने आप हो जाती है। नारंगी रंग ताजगी का ***** है।
कात्यायनी पूजा- सफेद
नवरात्र के छठवें दिन मां कात्यायनी की पूजा की जाती है। कात्यायन ऋषि के यहां जन्म लेने के कारण माता के इस स्वरुप का नाम कात्यायनी पड़ा।
कालरात्रि पूजा- गुलाबी
माँ दुर्गाजी की सातवीं शक्ति को कालरात्रि के नाम से जाना जाता हैं। दुर्गापूजा के सातवें दिन मां कालरात्रि की उपासना का विधान है।देवी कालरात्रि का यह विचित्र रूप भक्तों के लिए अत्यंत शुभ है।
महागौरी पूजी- आसमानी नीला
दुर्गापूजा के आठवें दिन महागौरी की उपासना का विधान है। जिनके स्मरण मात्र से भक्तों को अपार खुशी मिलती है, इसलिए इनके भक्त अष्टमी के दिन कन्याओं का पूजन और सम्मान करते हुए महागौरी की कृपा प्राप्त करते हैं।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो